प्रधानमंत्री जन धन योजना ने भारत के डिजिटल फाइनेंशियल इकोसिस्टम की रखी नींव


नई दिल्ली, 13 अगस्त (आईएएनएस)। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता तुहिन ए सिन्हा के अनुसार, पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने भारत में एक परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है, जिसने महिलाओं, ग्रामीण और हाशिए पर रहने वाली आबादी के लिए वित्तीय समावेशन को एक नई परिभाषा दी है।

एक मीडिया आर्टिकल में, सिन्हा ने बताया कि कैसे पीएमजेडीवाई भारत के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की आधारशिला बन गई है और सभी के लिए बैंकिंग तक पहुंच में क्रांतिकारी बदलाव लाकर एक वैश्विक मानक स्थापित किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अगस्त 2014 में शुरू की गई, पीएमजेडीवाई योजना का उद्देश्य बैंकिंग सेवाओं से वंचित प्रत्येक परिवार को औपचारिक वित्तीय प्रणाली में लाना है।

सिन्हा ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में योजना ने निर्बाध सरकारी हस्तांतरण को संभव बनाया है, हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाया है और भारत के डिजिटल फाइनेंशियल इकोसिस्टम की नींव रखी है।

उन्होंने आगे कहा, “इस पहल का सकारात्मक प्रभाव शुरुआती उम्मीदों से कहीं आगे तक पहुंचा है और वित्तीय समावेशन के मामले में दुनिया के लिए एक उपयुक्त मानक स्थापित किया है।”

पीएमजेडीवाई के सार्वभौमिक बैंकिंग पहुंच प्रदान करने के लक्ष्य को साहसिक बताते हुए, उन्होंने योजना के डिज़ाइन, जैसे शून्य-शेष खाते, न्यूनतम कागजी कार्रवाई और दुर्घटना बीमा के साथ मुफ्त रुपे डेबिट कार्ड को गरीब लोगों तक पहुंच बढ़ाने का श्रेय दिया।

पीएमजेडीवाई ने लैंगिक और क्षेत्रीय असमानताओं को पाटा है और आधार और मोबाइल नंबरों के साथ इसके सहमति-आधारित इंटीग्रेशन ने वित्तीय पहुंच के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है।

इस मॉडल ने अफ्रीका और दक्षिण एशिया के देशों को भारत के वैश्विक डीपीआई रिपॉजिटरी के माध्यम से इसी तरह के मॉडल अपनाने के लिए भी प्रेरित किया है।

सिन्हा ने कहा, “पिछले 10 वर्षों में पीएमजेडीवाई का प्रदर्शन इसके परिवर्तनकारी प्रभाव का प्रमाण है।”

सिन्हा ने कहा कि अगस्त 2015 में 17.9 करोड़ पीएमजेडीवाई खातों से, अगस्त 2023 तक यह संख्या तिगुनी होकर 50.14 करोड़ हो गई। केवल 8.2 प्रतिशत खाते शून्य-शेष राशि वाले हैं, जो सक्रिय उपयोग को दर्शाता है और अगस्त 2022 तक 81.2 प्रतिशत चालू रहेंगे।

2015 और 2022 के बीच जमा राशि में भी 7.6 गुना वृद्धि हुई है, जो बढ़ी हुई वित्तीय भागीदारी को दर्शाती है।

इसी प्रकार, रुपे कार्ड और यूपीआई के कारण, डिजिटल लेनदेन में भी भारी वृद्धि हुई है, जो कि वित्त वर्ष 2017-18 में 1,471 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 तक 11,394 करोड़ हो गया।

पीओएस और ई-कॉमर्स पर रुपे कार्ड से लेनदेन वित्त वर्ष 2017-18 के 67 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 126 करोड़ हो गया, जबकि इसी अवधि में यूपीआई लेनदेन 92 करोड़ से बढ़कर 8,371 करोड़ हो गया।

–आईएएनएस

एसकेटी/


Show More
Back to top button