नई दिल्ली, 29 अगस्त (आईएएनएस)। वैश्विक स्तर पर उथल-पुथल के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था आने वाले समय में मजबूत रह सकती है। हालांकि, हाई-फ्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स में नरमी के कारण आउटलुक में थोड़ी कमी हो सकती है।
अगस्त की मासिक आर्थिक समीक्षा में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
एनसीएईआर की रिपोर्ट में बताया गया कि देश में शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों की क्रेडिट वृद्धि (खाद्य और गैर-खाद्य) में जून 2024 में नरमी देखी गई है। वहीं, इस दौरान सर्विस सेक्टर के लिए पर्सनल लोन की क्रेडिट ग्रोथ और बैंक क्रेडिट में गिरावट हुई है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में जुलाई 2024 में हल्की गिरावट हुई है लेकिन सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग में वृद्धि जारी है।
हाल ही में जारी हुए डेटा के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई गिरकर 57.9 पर आ गया है, जो कि पहले 58.1 था। वहीं, सर्विस पीएमआई 60.3 से बढ़कर 60.4 हो गया है। इस कारण संयुक्त पीएमआई में गिरावट देखने को मिली है और यह गिरकर 60.5 पर आ गया है, जो कि पहले 60.7 पर था।
रिपोर्ट में बताया गया है कि खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी आने के कारण जुलाई 2024 में महंगाई में कमी देखने को मिली है। जुलाई में खुदरा महंगाई दर 3.54 प्रतिशत पर थी, जो कि 59 महीने या करीब 5 साल का खुदरा महंगाई दर का सबसे न्यूनतम स्तर है।
इस दौरान थोक महंगाई दर 2.04 प्रतिशत थी, जो जून में 3.36 प्रतिशत थी। यह थोक महंगाई का तीन महीने का सबसे निचला स्तर है।
भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ रही है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2024-25 में इसके 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
–आईएएनएस
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