नई दिल्ली, 29 मार्च (आईएएनएस)। फिल्म निर्माता रीमा दास की लगभग सभी फिल्मों में हर चीज अलग तरीके से चलती है। वह फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स: इकोइंग टेल्स’ का पोस्ट-प्रोडक्शन पूरा कर रही हैं, जो उनकी फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार्स’ (2017) का सीक्वल है। इस फिल्म को 91वें अकादमी पुरस्कारों में चुना गया और 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में बेस्ट फीचर फिल्म का अवॉर्ड मिला।
उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, ”मैं किसी बंधी हुई स्क्रिप्ट के साथ काम नहीं करती। शूटिंग के दौरान चीजें लगातार बदलती रहती हैं। सुधार ही सफलता की कुंजी है। मैं बस अपना कैमरा लेती हूं और रोल करना शुरू कर देती हूं। मैं कुछ लिखती हूं, जाकर शूटिंग करती हूं… बीच-बीच में मैं एडिटिंग भी शुरू कर देती हूं। सब कुछ आगे-पीछे है, लेकिन मुझे यह पसंद है।”
उनकी फिल्में, चाहे वह ‘विलेज रॉकस्टार’ हो या ‘बुलबुल कैन सिंग’, दोनों का प्रीमियर टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में किया गया था और 120 से ज्यादा फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गईं, 70 से ज्यादा पुरस्कार प्राप्त हुए। इन सफलताओं के चलते रीमा दास अपने आने वाले प्रोजेक्ट को लेकर कोई दबाव महसूस नहीं करती हैं।
रीमा दास चंडीगढ़ में चल रहे सिनेवेस्टर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (सीआईएफएफ) में शामिल हुईं। उन्होंने कहा, ”यह हमेशा फिल्म निर्माण की कला और आगे बढ़ने की चाहत के बारे में है। फिल्म की अखंडता और पवित्रता को बनाए रखने का प्रयास है।
बेशक, यह हमेशा खुशी की बात होती है जब लोग और आलोचक मेरी फिल्मों की प्रशंसा करते हैं। लेकिन इन सबके चलते मुझे कभी कोई दबाव महसूस नहीं होता।”
निर्देशक ने कहा कि समय के साथ, उन्हें अपनी फिल्मों की अच्छी मार्केटिंग के महत्व का एहसास हुआ।
”’विलेज रॉकस्टार्स’ और ‘बुलबुल कैन सिंग’ के साथ चर्चा बहुत आम थी। लेकिन महामारी के बाद, हम जैसे फिल्म निर्माताओं के लिए चीजें बदल गई। मुझे उस समय समझ आया कि फिल्म की अच्छी मार्केटिंग के लिए एक अलग बजट रखना होगा।”
दास आर्ट डायरेक्शन और कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग को संभालने के अलावा, अपनी फिल्मों का लेखन, निर्देशन, निर्माण, संपादन और शूटिंग करने वाली क्रू मेंबर भी हैं।
दास ने कहा, ”मुझे सिनेमैटोग्राफी में एक छोटा कोर्स करने में कोई आपत्ति नहीं है। कैमरे और लाइटिंग आदि के बारे में तकनीकी ज्ञान फायदेमंद होगा।”
रीमा दास की ‘विलेज रॉकस्टार्स’ 20 लाख रुपये के बजट पर बनी थी, लेकिन उन्हें लगता है कि समय बदल गया है और अब इतने कम बजट पर काम करना संभव नहीं है।
उन्होंने आगे कहा, ”हर चीज महंगी हो गई है। अब अगर मैं सिंक साउंड का इस्तेमाल करना चाहती हूं और मार्केटिंग के लिए अच्छा-खासा बजट रखना चाहती हूं, तो मैं सब कुछ सिर्फ कुछ लाख में कैसे पूरा कर सकती हूं?”
–आईएएनएस
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