श्रीनगर, 6 नवंबर (आईएएनएस)। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में आर्टिकल 370 को फिर बहाल करने को लेकर पारित किए गए प्रस्ताव पर पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान उन्होंने प्रस्ताव को लेकर कई सवाल खड़े किए।
जम्मू-कश्मीर राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा, “मेरा मानना है कि पीडीपी ने जो प्रस्ताव विधानसभा में रखा था, वह बेहतर था और आज जो सरकार की तरफ से प्रस्ताव पारित किया गया है, उसकी भाषा और भी बेहतर हो सकती थी। इसमें यह कहा जा सकता था – जैसे पीडीपी के प्रस्ताव में था – कि हम साल 2019 में 5 अगस्त को आए फैसले का विरोध करते हैं। साथ ही यह भी कहा जाना चाहिए था कि जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को फिर बहाल किया जाना चाहिए।”
उन्होंने आगे कहा, “इस पर एक चर्चा होनी चाहिए। वैसे भी देश अपनी विविधता के लिए जाना जाता है। जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 1947 में हाथ मिलाया था और उन्होंने खुद कहा था कि इस देश में विविधता है। भले ही जम्मू-कश्मीर की सरकार देर से आई, लेकिन दुरुस्त आई। इसलिए, हमने भी प्रस्ताव का समर्थन किया। हम यही चाहते हैं कि लोगों के लिए ईमानदारी के साथ काम हो, उन्हें धोखा नहीं दिया जाना चाहिए।”
महबूबा मुफ्ती ने आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले को एक बार फिर असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा, “2019 में 5 अगस्त को जो कुछ भी हुआ वह असंवैधानिक था। जम्मू-कश्मीर विविधता में एकता के लिए जाना जाता है। इसलिए हमने 1947 में भारत को चुना। अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यह पहला कदम उठाया है तो पीडीपी दूसरा कदम उठाएगी। अगर पीडीपी ने प्रस्ताव के लिए पहल नहीं की होती तो नेशनल कॉन्फ्रेंस कभी इस बारे में बात नहीं करती। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कभी नहीं कहा कि ‘हम 5 अगस्त 2019 के फैसले की निंदा करते हैं’।”
उन्होंने आगे कहा कि उमर सरकार आधे मन से यह प्रस्ताव लाई है। उन्होंने कहा, “50 विधायकों पर दबाव था। हमारे पास सिर्फ तीन हैं, इसलिए हम इस घटनाक्रम को अपनी सफलता मानते हैं। आर्टिकल 370 की बहाली की बजाय हमें बातचीत करने के लिए कहा जा रहा है। साल 2019 में हमसे हमारे अधिकार छीन लिए गए।”
–आईएएनएस
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