उत्तर प्रदेश में बीते सात सालों में संगठित अपराध के सफाये पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य सरकार ने माफिया और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए तीन सूत्रीय कार्ययोजना बनाई। जिसके बाद संगठित अपराध करने वाले माफिया और उनके गिरोह के सदस्यों पर कानूनी शिकंजा कसना शुरू हो गया। कार्ययोजना के तहत फरार अपराधियों की धरपकड़, अदालत में प्रभावी पैरवी कर सजा कराने और उनकी चल-अचल संपत्तियों को जब्त, ध्वस्त और अवैध कब्जे से मुक्त कराने का अभियान का बड़ा असर अब सामने आया है।
पुलिस का शिकंजा कसना शुरू हुआ तो कई माफिया और उनके गैंग के सदस्य सलाखों के पीछे गए। जेल में भी ऐशोआराम की पहले जैसी सुविधाएं व सहूलियतें नहीं मिली तो उनकी मुश्किलें बढ़ने लगीं। जो जेल की आबोहवा में नहीं ढल पाए, उनकी सेहत गिरनी शुरू हो गई। बीमारियों ने शिकंजा कसा तो जिंदगी कटनी मुश्किल हो गई। अतीक अहमद, मुन्ना बजरंगी, संजीव महेश्वरी जीवा, अनिल दुजाना, मुकीम काला, मेराज, अंशू दीक्षित, आदित्य राणा, मनोज आसे, खान मुबारक, मुनीर जैसे बड़े माफिया और अपराधियों की पुलिस मुठभेड़, गैंगवार और बीमारी से मौत हो चुकी है। प्रयागराज में माफिया अतीक, उसके भाई अशरफ की हत्या और उमेश पाल हत्याकांड के चार शूटरों को एनकाउंटर में ढेर करने से जनता ने राहत की सांस ली।
प्रदेश पुलिस ने बीते चार वर्षों के दौरान अदालत में प्रभावी पैरवी कर माफिया और अपराधियों को सजा कराई। डीजीपी मुख्यालय से सूचीबद्ध किए गए 25 माफिया और उनके गैंग के 44 सदस्यों पर कानूनी शिकंजा कसा गया। एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की हत्या करने वाले मुनीर और रेयान को फांसी की सजा कराने में भी सफलता मिली है। जिन माफिया और उनके सहयोगियों को सजा कराई गई, उनमें मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा, अतीक अहमद, योगेश भदौड़ा, मुनीर, रेयान, सलीम, रुस्तम, सोहराब, अजीत सिंह उर्फ हप्पू, आकाश जाट, सिंहराज भाटी, सुंदर भाटी, मुलायम यादव, ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू सिंह, अमित कसाना, एजाज, अनिल दुजाना, याकूब कुरैशी, बच्चू यादव, धर्मेंद्र कीर्ठल, रणदीप भाटी, संजय सिंह सिंघला, अनुपम दुबे, विक्रांत उर्फ विक्की तथा ऊधम सिंह शामिल हैं। इनकी 3864 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियों का जब्तीकरण, ध्वस्तीकरण व अवैध कब्जे से मुक्त कराया जा चुका है।
दशकों से नहीं हुई थी सजा
मालूम रहे कि मुख्तार, अतीक, अनुपम दुबे, ध्रुव कुमार सिंह उर्फ कुंटू सिंह, याकूब कुरैशी, अनिल दुजाना जैसे माफिया को उनके मुकदमों में दशकों से सजा नहीं कराई जा सकी थी। राज्य सरकार के निर्देश पर डीजीपी मुख्यालय और अभियोजन विभाग ने इसकी पुख्ता कार्ययोजना बनाकर अदालत में मजबूती से पैरवी की और गवाहों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया। जिसके बाद सजा मिलने का दौर शुरू हो गया। मुख्तार को डेढ़ साल में आठ बार सजा कराई गई, जिसमें दो आजीवन कारावास की सजा थी।
भगोड़ों पर बढ़ाया इनाम
पुलिस ने भगोड़े अपराधियों पर इनाम बढ़ाने का सिलसिला भी जारी रखा, ताकि उन पर कानूनी शिकंजा कसता जाए। संगठित तरीके से आर्थिक अपराध को अंजाम देने वाली बाइक बोट घोटाले की आरोपी दीप्ति बहल, भूदेव, शाइन सिटी के एमडी राशिद नसीम पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया। उमेश पाल हत्याकांड के फरार शूटर गुड्डू मुस्लिम, अरमान और साबिर पर भी 5 लाख का इनाम किया गया। मेरठ के कुख्यात माफिया बदन सिंह बद्दो पर भी 5 लाख का इनाम है।