भारत के इस कदम से चीन को लगेगी मिर्ची

 भारत के इस कदम से चीन को लगेगी मिर्ची

रणनीतिक तौर पर बेहद सही जगह पर स्थित चाबहार पोर्ट ( Chabahar Port) के प्रबंधन का दस वर्षों का ठेका भारत को मिल गया है। चीन की तरफ से पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर में चीन की मदद से बनाये जा रहे पोर्ट से महज 170 किलोमीटर दूरी पर स्थित चाबहार पोर्ट में भारत ने पहले ही एक टर्मिनल का निर्माण किया हुआ है, लेकिन अब वहां का पूरा प्रबंधन की जिम्मेदारी भारतीय कंपनी आईपीजीएल (IPGL) के पास आ गई है।

IPGL और PMO के बीच हुआ समझौता

इस बारे में सोमवार को ईरान में इंडियो पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (आईपीजीएल) पो‌र्ट्स एंड मैरिटाइम आर्गेनाइजेशन ऑफ ईरान (पीएमओ) के बीच समझौता हुआ। देश में आम चुनाव प्रक्रिया जारी रहने के बावजूद भारत के शिपिंग व पोर्ट मंत्री सर्बानंद सोनोवाल का वहां जाना बताता है कि भारत इस परियोजना को कितना महत्व देता है।

समझौते पर क्या बोला भारत?

दोनो देशों के बीच हुए समझौते के अवसर पर सोनोवाल ने कहा कि, हमने चाबहार में दीर्घकालिक तौर पर सक्रिय रहने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जता दी है। समझौते के बाद भारतीय कंपनी अब इस पोर्ट को ज्यादा बेहतर तरीके से रख-रखाव करने व विकसित करने में सक्षम होगी। इससे चाबहार पोर्ट के व्यवहार्यता पर भी सकारात्मक असर होगा। सोनोवाल की ईरान के सड़क व शहरी विकास मंत्री मेहराद बर्जपाश के साथ द्विपक्षीय मुलाकात भी हुई है।

भारत ने हासिल की पहली उपलब्धि

हाल के वर्षों में भारतीय कंपनियों को कुछ और देशों में भी पोर्ट निर्माण का ठेका मिला है, लेकिन पहली बार किसी भारतीय कंपनी को दूसरे देश में बंदरगाह प्रबंधन करने का मौका मिल रहा है। अभी यह ठेका 10 वर्षों का है लेकिन उसे आगे फिर बढ़ाया जा सकता है। यह भारत की सीमा के पास सबसे नजदीकी पोर्ट भी है, जिसे बड़े कार्गो जहाजों के लिए काफी मुफीद माना जा रहा है।

विशेष आर्थिक क्षेत्र बनाना चाहता है भारत

भारत की तरफ से यह बताया भी गया है कि चाबहार पोर्ट को वह मध्य एशिया और यूरेशिया से जोड़ने की मंशा रखता है। इसके अलावा भारत चाबहार पोर्ट के पास एक विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) स्थापित करना भी चाहता है। ईरान में मिलने वाले प्राकृतिक गैस की मदद से वहां यूरिया फैक्ट्री स्थापित करने और वहां से भारत आयात करने की योजना भी है। इसके अलावा इस पोर्ट को अफगानिस्तान के अंदरूनी हिस्सों से जोड़ने की भी योजना तैयार है।

साल 2016 में पीएम मोदी ने की थी ईरान की यात्रा

वर्ष 2016 में पीएम नरेन्द्र मोदी ने जब ईरान की यात्रा की थी तब भारत, अफगानिस्तान व ईरान के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था। इसमें भारत की मदद से अफगानिस्तान की सीमा तक सड़क व रेल मार्ग बनाने की योजना भी शामिल है। इससे भारतीय उत्पादों को बहुत ही कम समय में मध्य एशियाई देशों तक पहुंचाया जा सकेगा।

अमेरिका और ईरान के संबंध तनावपूर्ण

यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि भारत ने ईरान के साथ यह समझौता तब किया है जब अमेरिका और ईरान के संबंध लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। चाबहार पोर्ट को लेकर अमेरिका का रवैया वैसे कुछ नरम रहता है क्योंकि भारत की तरफ यह तर्क दिया जाता है कि यह पोर्ट चीन के बढ़ते प्रभुत्व का जवाब हो सकता है।

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