सेबी ने स्टार्टअप संस्थापकों के लिए रखा प्रस्ताव, आईपीओ के बाद भी ले सकेंगे ईएसओपी का लाभ

मुंबई, 21 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नियमों में बदलाव का प्रस्ताव दिया है। नए बदलावों के साथ, स्टार्टअप फाउंडर्स कंपनी के सार्वजनिक होने के बाद भी एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन प्लान (ईएसओपी) जारी रख सकेंगे।
न्यू-एज टेक्नोलॉजी कंपनियों के संस्थापकों को अक्सर बिजनेस के शुरुआती वर्षों में कैश बेस्ड सैलरी की जगह ईएसओपी मिलती है।
ईएसओपी संस्थापकों के हितों को दूसरे शेयरधारकों के साथ जोड़ने में मदद करती है। हालांकि, जब स्टार्टअप निवेश जुटाते हैं, तो संस्थापकों की शेयरधारिता कम हो जाती है।
सेबी के मौजूदा नियमों के तहत, संस्थापकों को आईपीओ के लिए फाइलिंग के समय प्रमोटर के रूप में कैटेगराइज किया जाता है।
मौजूदा नियम प्रमोटरों को ईएसओपी जारी करने की अनुमति नहीं देते हैं। यह उन संस्थापकों के लिए परेशानी पैदा करताहै, जिन्हें आईपीओ से पहले कर्मचारियों के रूप में स्टॉक विकल्प मिले थे।
नियमों में बदलाव का उद्देश्य इन कंपनियों के संस्थापकों को इस परेशानी से राहत दिलाना है।
बाजार नियामक ने कहा कि जो कर्मचारी बाद में अपनी शेयरधारिता के कारण प्रमोटर बन जाता है, उसे अपने ईएसओपी लाभों को छोड़ना पड़ सकता है, जो उचित नहीं हो सकता है।
सेबी ने कहा कि नियम स्पष्ट नहीं हैं कि ऐसे संस्थापक प्रमोटर के रूप में कैटेगराइज होने के बाद ईएसओपी का इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं।
सेबी ने एक स्पष्टीकरण जोड़ने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें कहा गया है कि संस्थापकों को दिए गए स्टॉक लाभ आगे भी जारी रहेंगे, जब उन्हें बाद में ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) में प्रमोटर के रूप में कैटेगराइज किया जाएगा।
हालांकि, प्रमोटरों को नए ईएसओपी जारी करने से रोकने वाला नियम अब भी लागू रहेगा।
इस प्रस्ताव से उन स्टार्टअप संस्थापकों को लाभ मिलने की उम्मीद है, जिन्हें इक्विटी-आधारित मुआवजा मिलता है।
इस बीच, सेबी ने निवेशकों को उनकी प्रतिभूति होल्डिंग्स को ट्रैक और अनक्लेम फाइनेंशियल एसेट्स को कम करने के लिए डिजिलॉकर के साथ साझेदारी की है।
इस पहल का उद्देश्य निवेशकों की सुरक्षा को बढ़ाना और वित्तीय होल्डिंग्स तक पहुंच को आसान और सुरक्षित बनाना है।
इस इंटीग्रेशन के साथ निवेशक डिजिलॉकर के जरिए अपने डीमैट खातों और म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स की डिटेल्स स्टोर कर सकेंगे।
यह प्लेटफॉर्म पहले से ही बैंक अकाउंट स्टेटमेंट, इंश्योरेंस पॉलिसी, नेशनल पेमेंट सिस्टम डिटेल्स तक पहुंच प्रदान करता है।
अब, यह प्रतिभूतियों की जानकारी के मैनेजमेंट के लिए एक सेंट्रलाइज्ड प्लेस के रूप में भी काम करेगा।
–आईएएनएस
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