सेबी ने निजी उपयोग के लिए फंड्स का दुरुपयोग करने वाली कंपनियों पर की कर्रवाई

मुंबई, 21 मार्च (आईएएनएस)। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने व्हिसलब्लोअर्स की शिकायतों के आधार पर शेयर बाजारों में राइट्स इश्यू के माध्यम से जुटाए गए फंड्स के दुरुपयोग के लिए कई कंपनियों पर कार्रवाई की है।
सेबी ने इन कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू की है, जिसमें आरोप है कि प्रमोटरों ने धन को निर्धारित उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करने के बजाय अवैध रूप से अपने रिश्तेदारों या मुखौटा कंपनियों को निजी उपयोग के लिए हस्तांतरित कर दिया।
एनडीटीवी प्रॉफिट की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूंजी बाजार नियामक सेबी फिलहाल चार या पांच ऐसी कंपनियों की जांच कर रही है और उसने ऐसे फंड के दुरुपयोग में एक पैटर्न की पहचान की है।
रिपोर्ट में बताया गया कि ज्यादातर मामले छोटी और निष्क्रिय कंपनियों से जुड़े हैं जो राइट्स इश्यू जारी करती हैं, जिसमें मौजूदा शेयरधारकों को छूट पर शेयर दिए जाते हैं जिससे कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए निवेश जुटाया जा सके। हालांकि, बाद में इन फंडों को निजी इस्तेमाल के लिए संपत्ति आदि खरीदने के लिए डायवर्ट कर दिया जाता है।
पंप और डंप मामलों के विपरीत, राइट्स इश्यू से फंड डायवर्जन का शेयर बाजार पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ता है। इस कारण फंड के दुरुपयोग का पता लगाना अधिक कठिन है और व्हिसलब्लोअर की शिकायतें मामलों का पता लगाने का मुख्य स्रोत हैं।
5 दिसंबर, 2024 को पारित अंतरिम आदेश में, सेबी ने पाया कि मिष्टान फूड्स लिमिटेड ने अपने राइट्स इश्यू से प्राप्त आय का दुरुपयोग किया और अपने घोषित उद्देश्य के बजाय प्रमोटरों और समूह संस्थाओं को धन हस्तांतरित किया। कंपनी ने शुरुआती 150 करोड़ रुपये के राइट्स इश्यू को वापस ले लिया और बाद में 50 करोड़ रुपये से कम के छोटे राइट्स इश्यू जारी किए, जिससे सेबी की जांच से बचा जा सके।
मिष्टान फूड्स को अपने राइट्स इश्यू से गबन किए गए 49.82 करोड़ रुपये और फर्जी लेनदेन के जरिए डायवर्ट किए गए 47.10 करोड़ रुपये वापस करने को भी कहा गया है। गवर्नेंस में सुधार के लिए, सेबी ने नियमों का सख्ती से अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए एक नई ऑडिट कमेटी के गठन का आदेश दिया है।
11 दिसंबर, 2024 को पारित एक अन्य आदेश में, सेबी ने डेबॉक इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ एक आदेश जारी किया। कंपनी को वित्तीय कुप्रबंधन में लिप्त पाया गया, जिसमें उसके वित्तीय विवरणों में हेरफेर करना, झूठे बैंक विवरण प्रस्तुत करना और राइट्स इश्यू की आय को हड़पना शामिल है।
कंपनी ने कथित तौर पर स्टॉक एक्सचेंज के मुख्य बोर्ड में जाने के लिए फर्जी प्रेफरेंशियल इश्यू का इस्तेमाल किया। इस कारण सेबी ने कंपनी पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए, जिससे आरोपी को प्रतिभूतियों में लेन-देन करने या पूंजी बाजार तक पहुंचने से रोक दिया गया।
–आईएएनएस
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