भारत की लॉजिस्टिक्स में बड़ी छलांग, पोर्ट्स पर शिप टर्नअराउंड समय एक दिन से भी कम हुआ : सर्बानंद सोनोवाल


नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। भारत के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में बड़े स्तर पर सुधार हो रहा है। इस कारण देश में पोर्ट्स पर औसत शिप टर्नअराउंड समय एक दिन से भी कम हो गया है, जो कि पहले चार दिन था। यह कई विकसित देशों से भी कम है। यह जानकारी केंद्रीय पत्तन,पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की ओर से दी गई।

नई दिल्ली में एक इवेंट में केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रमुख पोर्ट्स पर कंटेनर क्षमता में 70 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है और तटीय और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से कार्गो वॉल्यूम कई गुना बढ़ गई है।

केंद्रीय मंत्री ने ‘मैरीटाइम फाइनेंसिंग समिट 2025’ में अपने संबोधन में कहा, “ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति, कस्टम क्लियरेंस के नियमों को सरल बनाने और गिफ्ट सिटी आईएफएससी के रणनीतिक फायदों के कारण भारत मैरीटाइम डोमेन में आकर्षक इन्वेस्टमेंट इकोसिस्टम पेश करता है।”

उन्होंने आगे कहा, “हमारा लक्ष्य भारत को केवल ग्लोबल मैरीटाइम हब बनाना ही नहीं, बल्कि फाइनेंस, शिपबिल्डिंग और ग्रीन मैरीटाइम इन्फ्रास्ट्रक्चर का भी हब बनाना है।”

राज्य मंत्री शांतनु ठाकुर ने कहा, “विश्वसनीय, दीर्घकालिक वित्तीय आधार के बिना भारत की मैरीटाइम महत्वाकांक्षाएं पूरी नहीं हो सकतीं।”

ठाकुर ने आगे कहा, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि अनुकूल नीतियां, व्यापार-अनुकूल सुधार और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां एक ऐसा वातावरण तैयार करें जहां भारतीय शिपिंग विकास और नेतृत्व कर सके। हमारा समुद्र तट अवसरों का प्रवेश द्वार है, और साझा दृष्टिकोण और प्रयासों के माध्यम से, भारत एक ग्लोबल मैरीटाइम लीडर रूप में उभरेगा।”

इवेंट में एक अन्य महत्वपूर्ण घोषणा प्रस्तावित मैरीटाइम डेवलपमेंट फंड (एमडीएफ) था, जो एक समर्पित मिश्रित वित्तीय माध्यम है जिसका उद्देश्य पूंजीगत लागत कम करना और शिपयार्ड, तटीय इन्फ्रास्ट्रक्चर और अंतर्देशीय जलमार्गों में दीर्घकालिक निवेश आकर्षित करना है। एमडीएफ को वैश्विक निवेशकों, जहाज मालिकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय संस्थानों सहित 100 से अधिक हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के माध्यम से विकसित किया गया है।

इवेंट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि भारतीय ध्वज वाले टन भार का समर्थन करने के लिए मर्चेंट शिपिंग बिल और कोस्टल शिपिंग बिल जैसी नीतिगत पहलों को आगे बढ़ाया जा रहा है। संसद ने बिल ऑफ लैडिंग बिल 2025 पारित किया, जिसका उद्देश्य शिपिंग दस्तावेजों के लिए कानूनी ढांचे को सरल बनाना है।

–आईएएनएस

एबीएस/


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