प्रकृति सूचकांक : एशिया-प्रशांत वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान में अग्रणी, शीर्ष पर चीन

बीजिंग, 21 मार्च (आईएएनएस)। ब्रिटिश पत्रिका “नेचर” की वेबसाइट पर हाल ही में जारी नवीनतम “प्रकृति सूचकांक-ऊर्जा 2025” से पता चलता है कि पिछले कुछ वर्षों में, सस्ती स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान उत्पादन में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की हिस्सेदारी दोगुनी हो गई है। राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य से देखा जाए, तो चीन पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान उत्पादन में प्रथम स्थान पर रहा है।
ब्रिटेन के स्थानीय समयानुसार, 19 मार्च को “प्रकृति सूचकांक-ऊर्जा 2025” रिपोर्ट जारी की गई, जिससे पता चला है कि साल 2015 से साल 2023 तक, प्रकृति सूचकांक में सस्ती स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान उत्पादन में 200% से अधिक की वृद्धि हुई है। यही प्रवृत्ति बड़े “बहुआयामी” डेटाबेस में भी दिखाई देती है। साल 2010 से 2023 तक, वैश्विक संबंधित वैज्ञानिक अनुसंधान उत्पादन में लगभग 470% की वृद्धि हुई।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 से 2024 तक, सस्ती स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में चीन का वैज्ञानिक अनुसंधान उत्पादन अन्य देशों से कहीं अधिक था। इस अवधि के दौरान, इस क्षेत्र में चीन की हिस्सेदारी दूसरे स्थान पर रहने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका से तीन गुना से भी अधिक थी।
इस क्षेत्र में चीन का प्रभुत्व इस तथ्य में भी परिलक्षित होता है कि साल 2019 से 2024 तक ऊर्जा अनुसंधान उत्पादन के मामले में दुनिया के शीर्ष 100 संस्थानों में से 63 चीनी संस्थान हैं। इनमें से शीर्ष 20 संस्थान चीन से हैं।
प्रकृति सूचकांक के प्रधान संपादक साइमन बेकर ने कहा कि स्वच्छ ऊर्जा में चीन के भारी निवेश के कारण, प्रकृति सूचकांक में चीन के स्वच्छ ऊर्जा वैज्ञानिक अनुसंधान उत्पादन में तेजी से वृद्धि जारी है। इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव और प्रभुत्व अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक अनुसंधान सहयोग में भी परिलक्षित होता है, जिसमें चीन ने कई अग्रणी साझेदारियां स्थापित की हैं।
(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
–आईएएनएस
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