सनातन धर्म पर टिप्पणी मामले में उदयनिधि स्टालिन को आज एक बार फिर झटका लगा है। स्टालिन की सुप्रीम कोर्ट में एक गलती भारी पड़ गई है। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन से पूछा कि वह अपनी ‘सनातन धर्म’ को लेकर की गई टिप्पणी पर हुई एफआईआर को क्लब करने की अपनी याचिका को रिट क्षेत्राधिकार के तहत शीर्ष अदालत में कैसे जा सकते हैं।
गलत अनुच्छेद पर डाली याचिका
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने मंत्री से कहा कि वह सीआरपीसी की धारा 406 के तहत शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर सकते थे, जिसमें आपराधिक मामलों को स्थानांतरित करने की मांग की गई थी, लेकिन रिट क्षेत्राधिकार से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं कर सकते हैं।
6 मई को मामला फिर सूचीबद्ध करने को कहा
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, “आप देखिए, कुछ मामलों में संज्ञान लिया गया है और समन जारी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रिट क्षेत्राधिकार के तहत न्यायिक कार्यवाही को नहीं छुआ जा सकता है।” पीठ ने उदयनिधि स्टालिन को “कानूनी मुद्दों” के मद्देनजर अपनी याचिका में संशोधन करने और मामले को 6 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करने की अनुमति दी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
तमिलनाडु के मंत्री की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि उदयनिधि का टिप्पणी करने के पीछे का इरादा “राजनीतिक युद्ध” करना नहीं था, क्योंकि यह केवल 30 से 40 लोगों का जमावड़ा था।
उदयनिधि स्टालिन ने एफआईआर को एक साथ जोड़ने के लिए पत्रकार और राजनीतिक व्यक्ति के शामिल होने की बात कही थी, इसपर न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि मीडियाकर्मियों की तुलना मंत्रियों से नहीं की जा सकती है।
उदयनिधि ने की थी ये टिप्पणी
तमिलनाडु में युवा कल्याण और खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता और मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन के बेटे हैं। सितंबर 2023 में एक सम्मेलन में बोलते हुए, उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोनोवायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि इसे नष्ट कर दिया जाना चाहिए।