विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रचा इतिहास, जाने पूरा मामला

नयी नियमावलियों संसदीय परंपराओं, हाइटेक कार्यवाही जैसे तमाम अद्भुत प्रयोग करने वाले विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने अपने कार्यकाल के दो साल पूरे कर लिए हैं। विधान भवन को एक नया स्वरूप देने के साथ विधायी गतिविधियां भी बीते दो साल में न केवल इतिहास में दर्ज हुईं, बल्कि देश की अन्य विधानसभाओं के लिए उदाहरण भी बन चुकी हैं।

अपने खुशमिजाज अंदाज के साथ महाना ने जो किया, उसे गिनाया
इस मौके पर शुक्रवार को विधानभवन के तिलक हॉल में विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और राजधानी के पत्रकार आमने-सामने रहे। अपने खुशमिजाज अंदाज के साथ महाना ने जो किया, उसे गिनाया तो जो आगे करेंगे, उसपर भी चर्चा की। पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए तो उनके सुझावों को भी गौर से सुना। सतीश महाना ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए अनुभव, उपलब्धियां, भावी योजनाएं और सुझाव साझा किए। इस दौरान उन्होंने बताया कि कुछ वर्षों से यह अनुभव किया जा रहा था कि विधायिका के संचालन में व्यावहारिक कठिनाइयां आ रही हैं, व्यवधान हो रहे हैं। अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण करने के बाद पिछले दो सालों में यह प्रयास किया है कि विधायिका का संचालन सुचारू रूप से हो और उसकी गरिमा बनी रहे। इस दिशा में कदम उठाये गये हैं, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी पूरा सहयोग एवं मार्गदर्शन रहा है।

लगभग 33 वर्षों से लगातार इस सदन के सदस्य
सतीश महाना ने बताया कि वह लगभग 33 वर्षों से लगातार इस सदन के सदस्य हैं। ऐसे में उन्हें पक्ष में, विपक्ष में, विभिन्न समितियों में, मंत्री के रूप में एवं वर्तमान में अध्यक्ष के रूप में कार्य करने का मौका मिला। इसी अनुभव का प्रयोग करते हुए वर्ष 1958 में बनी नियमावली के जो कतिपय नियम उपयोगी नहीं रह गए हैं अथवा कुछ विशिष्ट नियम जोड़े जाने चाहिए, उसे किया गया।

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