लगातार बढ़ रहा है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार,पढ़े पूरी खबर

लगातार बढ़ रहा है भारत का विदेशी मुद्रा भंडार,पढ़े पूरी खबर

अगस्त 2023 के बाद अब 1 दिसंबर 2023 तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़कर 604 बिलियन डॉलर हो गया है। इससे पहले 11 अगस्त 2023 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के आंकड़े को पार हुआ था। कल आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारतीय करेंसी रुपया अन्य करेंसी की तुलना में ज्यादा स्थिर रही है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। अगस्त 2023 के बाद अब 1 दिसंबर 2023 को देश का फॉरेक्स रिजर्व बढ़कर 604 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। इससे पहले 11 अगस्त 2023 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार किया था।

कब था सबसे अधिक भंडार?

आपको बता दें कि अक्टूबर 2021 में, देश की विदेशी मुद्रा भंडार 642 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ ऑल टाइम हाई पर था। 24 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में भारत का फॉरेक्स रिजर्व 597.935 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

अन्य मुद्राओं की तुलना में भारतीय करेंसी अधिक स्थिर

कल एमपीसी के बैठक में हुए फैसलों को सुनाते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड और मजबूत अमेरिकी डॉलर के बावजूद, कैलेंडर वर्ष 2023 में ईमर्जिंग मार्केट इकोनॉमी (EME) की तुलना में भारतीय रुपये ने कम अस्थिरता रही है।

एफपीआई ने जारी रखा निवेश

शक्किांत दास के मुताबिक 2023-24 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) इनफ्लो 6 दिसंबर तक 24.9 बिलियन डॉलर रहा है। इसके अलावा फॉरेंन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) अप्रैल-अक्टूबर 2023 में घटकर 10.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो एक साल पहले 20.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।

कौन होते हैं एफपीआई?

एफपीआई यानी फॉरेंन पोर्टफोलियों इन्वेस्टर उसे कहते हैं जो दूसरे देश के स्टॉक मार्केट के लिस्टेड शेयर, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, आदि में निवेश करते हैं। ये ऐसे निवेशक होते हैं जो कम समय में अधिक मुनाफा कमाने को देखते हैं।

क्या होता है विदेशी मुद्रा भंडार?

विदेशी मुद्रा भंडार का मतलब इसके नाम से ही पता चल रहा है। इसका मतलब अन्य देश की करेंसी का भंडारण। भारत का केंद्रीय बैंक यानी आरबीआई फॉरेक्स रिजर्व में पैसों के साथ-साथ अन्य परिसंपत्तियां भी रखता है ताकी जरूरत पड़ने पर लोन का भुगतान किया जा सके।

विदेशी मुद्रा भंडार एक या अधिक मुद्राओं में रखा जाता है। अधिकांश विदेशी मुद्रा भंडार डॉलर में और कुछ यूरो में रखे जाते हैं।

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