सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र से दिल्ली सरकार की उस याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई है। दरअसल दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने फरवरी 2023 में ओला-उबर और रैपिडो जैसी कैब एग्रीगेटर कंपनियों की बाइक सेवा पर रोक लगा दी थी। सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए इन कंपनियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए इन कंपनियों को राहत दे दी थी। इसके बाद दिल्ली सरकार ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस राजेश बिंदल की अवकाश पीठ ने शुक्रवार को निर्देश दिया कि याचिकाओं की कॉपी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को दी जाए। पीठ ने कहा, ”दोनों याचिकाओं की प्रति सॉलिसिटर जनरल को दी जानी चाहिए, ताकि भारत सरकार के विचारों को संज्ञान में लिया जा सके। मामले को सोमवार को सूचीबद्ध कीजिए।”
दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मनीष वशिष्ठ ने कहा कि अंतिम नीति अधिसूचित होने तक उसके नोटिस पर रोक लगाने का हाईकोर्ट का फैसला रैपिडो की रिट याचिका को स्वीकार करने जैसा है।
हाईकोर्ट ने 26 मई को रैपिडो की याचिका पर दिल्ली सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि अंतिम नीति तक बाइक-टैक्सी एग्रीगेटर के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी। रैपिडो का परिचालन करने वाली वाली रोपेन ट्रांसपोर्टेशन सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड ने हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में कहा था कि दिल्ली सरकार का आदेश बिना किसी औचित्य के पारित किया गया।