लखनऊ। यूपी देश की सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य है। स्वाभाविक रूप से बड़े क्षेत्रफल का राज्य होने के चलते चुनौती भी बड़ी है। प्रदेश में कभी 40 जिले बाढ़ प्रभावित माने जाते थे, आज हमने इस खतरे को 4-5 जिलों में समेटने का काम किया है। आज अगर कहीं आपदा आती है तो लोगों को ये विश्वास रहता है कि सरकार की ओर से राहत भी आ रही होगी। ये बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के नये भवन के शिलान्यास कार्यक्रम के दौरान कही। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के सभी 75 जनपदों में आपदा मित्रों की बात कहते हुए अच्छा कार्य करने वालों को व्यवस्था के साथ जोड़ते हुए उचित मानदेय देने के लिए भी राजस्व विभाग को कहा।
यूपी में 9 प्रकार के क्लाइमेट जोन, हमेशा रहता है आपदा का खतरा
66.40 करोड़ की लागत से डेढ़ एकड़ में बनने जा रहे पांच मंजिला भव्य इमारत के शिलान्यास के दौरान मुख्यमंत्री ने तकनीकी के माध्यम से प्रदेश में आपदा प्रबंधन और जनजागरूकता को आगे बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में 9 प्रकार के क्लाइमेटिक जोन हैं। यहां आपदा की आशंका हमेशा बनी रहती है। यूपी की सीमा नेपाल, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, दिल्ली, मध्य प्रदेश, झारखंड से मिलती है। यहां हिमालय से आने वाली नदियों के कारण बाढ़ का खतरा जुलाई से अक्टूबर तक बना रहता है। विंध्य और बुंदेलखंड में आकाशीय बिजली का खतरा है तो पश्चिमी यूपी भूकंप के अति संवेदनशील जोन में से एक है। नेपाल से सटा तराई का क्षेत्र मानव और वन्यजीव द्वंद के कारण जाना जाता है।
आपदा के चलते जनधन हानि को न्यूनतम करने में मिली कामयाबी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में यूपी ने विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति की है, उनमें आपदा प्रबंधन का क्षेत्र भी है। हमने आपदा से होने वाली जनधन हानि को न्यूनतम स्तर पर पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है। कभी यूपी के 40 जिले बाढ़ के लिए संवेदनशील माने जाते थे, बेहतरीन प्रयासों के कारण आज 4 से 5 जिले ही ऐसे हैं जहां बाढ़ के कारण लोगों को हफ्ते भर का कष्ट होता है। बाढ़ के समय भी एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पीएसी फ्लड यूनिट और आपदा मित्र स्थानीय पुलिस प्रशासन और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर जनधन की हानि को कम करने के लिए कदम उठाते हैं। आज लोगों में विश्वास है कि बाढ़ आई है तो सरकार की राहत भी साथ साथ आ रही होगी।
सभी जिलों में लगाया जा रहा आकाशीय बिजली से अलर्ट का सिस्टम
मुख्यमंत्री ने बताया कि यूपी पहला राज्य है जहां आपदा से निपटने के लिए बहुत सी श्रेणियों को आपदा प्रबंधन के दायरे में लाकर राहत देने का कार्य किया गया है। इनमें मानव वन्यजीव संघर्ष भी एक है। इसके अलावा आकाशीय बिजली से अलर्ट करने के लिए अर्ली वार्निंग सिस्टम प्रदेश के सभी जिलों में लगाने का काम हो रहा है। रेन गेज सिस्टम हर ग्रामसभा में लगाने जैसे अनेक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार ने 2017 में एसडीआरएफ की तीन बटालियन का गठन किया था। आज इसके पास अपना मुख्यालय और उपकरण है। प्रदेश में हर आपदा को न्यूनतम स्तर पर पहुंचाने के लिए डबल इंजन की सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इसी कार्य को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने एसडीएमए के लिए भवन बनाने के कार्य का आज शिलान्यस किया है। ये भवन यूपी में आपदा प्रबंधन की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस दौरान राजस्व राज्यमंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि, विधायक डॉ राजेश्वर सिंह, यूपी राज्य आपदा प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल आरपी शाही, एसीएस राजस्व सुधीर गर्ग, डीजी फायर सर्विस अविनाश चंद्र सहित राजस्व विभाग के कर्मचारी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के जवान और आपदा मित्र मौजूद रहे।
सीएम ने जनजागरूकता के लिए जारी की दो पुस्तकें, तीन लघु फिल्म और रेडियो जिंगल
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने यूपी राज्य आपदा प्रबंधन योजना 2023 और बाढ़ कार्य योजना 2023 पुस्तकों का विमोचन किया। अपरिहार्य जनहानि को जीरो करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने भूकंप, सर्पदंश और वज्रपात पर जनजागरूकता के लिए तीन लघु फिल्में और रेडियो जिंगल का उद्घाटन किया। सीएम ने अपनी जान जोखिम में डालकर जनता की रक्षा करने वाले एनडीआरएफ के विनय कुमार, जितेन्द्र सिंह यादव, अखिलेश कुमार सिंह, पुष्पेन्द्र और मनीष कुमार को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया। इसके अलावा उन्होंने एसडीआरएफ के चंदेश्वर, रमेश चंद्र मिश्र, राजदीप सिंह चौहान, अजय सिंह, किशन कुमार को प्रशस्तिपत्र देकर सम्मानित किया।
पंचतत्व को परिलक्षित करेगा एनडीएमए का भवन
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के मुख्यालय का कुल कवर एरिया डेढ़ लाख स्क्वायर फिट होगा। इसकी रूपरेखा तीन स्तरों पर होगी, जिसमें इमरजेंसी ऑपरेशन, ट्रेनिंग सेंटर और एडमिनिस्ट्रेटिव विंग शामिल होगा। भवन पांच फ्लोर और बेसमेंट का होगा। इसके पार्किंग एरिया में 100 चार पहिया और 150 दो पहिया वाहन पार्क हो सकेंगे। भवन का डिजाइन पंचतत्व को परिलक्षित करेगा। भवन को इस प्रकार बनाया जाएगा जिससे ऊर्जा की ज्यादा से ज्यादा बचत की जा सके। इसका पुलिस मुख्यालय के पास होने से दोनों विभागों के बीच आपसी समन्वय में मजबूती मिलेगी।