लखनऊ। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत के 70 फीसदी सारस कानपुर मंडल के ही क्षेत्रों में पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने औरैया-इटावा मार्ग पर सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने का निर्णय लिया है। बीते दिनों एक सारस की वजह से सियासी संग्राम छिड़ा था। अमेठी निवासी आरिफ व सारस की दोस्ती को देश और दुनिया के करोड़ों लोगों ने जान लिया। पूर्व सीएम अखिलेश यादव योगी सरकार को घेर रहे थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजकीय पक्षी सारस की संख्या बढ़ाने के लिए सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने का फैसला किया है। औरैया-इटावा मार्ग पर सारस कंजर्वेशन रिजर्व सेंटर बनाने के लिए जमीन चिन्हित कर ली है। कानपुर मंडल के मुख्य वन संरक्षक औरैया मार्ग पर जमीन का निरीक्षण कर चुके हैं। प्रस्ताव को जल्द ही शासन को भेजा जाएगा।
तैयार किये जायेंगे आर्टिफिशियल वेटलैंड
एक हेक्टेयर लैंड पर आर्टिफिशियल वेटलैंड तैयार कराए जाएंगे। इसके बाद 40 से 50 हेक्टेयर जमीन पर सेंटर बनेगा जिसमें सारस के प्राकृतिक आवास की सारी सुविधाएं होंगी। सरकार भविष्य में इस सेंटर को पर्यटन के नजरिए से संचालित करेगी तो लोग सारस को करीब से देखेंगे।वन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि एक दशक के अंदर सारस की संख्या में 57 फीसद तक बढ़ोतरी हुई है। 2012 में सारस की जनगणना हुई तो सूबे में सारस की संख्या 11275 थी। 2021 की जनगणना में आंकड़ा 17665 तक पहुंच गया है। 2020 में कोविड महामारी का दौर होने के चलते गणना नहीं हो सकी थी। कानपुर जू के निदेशक के मुताबिक सारस की पहचान चोंच, पंख व पंजों से की जाती है।बच्चों की चोंच व सिर का रंग जहां पीला होता है, वहीं वयस्क सारस की चोंच स्लेटी व सिर का रंग गहरा लाल होता है। पंजे का रंग गुलाबी होता है। वन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार भारत के 70 फीसद सारस कानपुर मंडल के जिलों में पाए जाते हैं। कानपुर मंडल में इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, कानपुर देहात व कानपुर आते हैं। 2021 की जनगणना में इटावा और औरैया में 3293, उन्नाव में 533, फर्रुखाबाद में 772, कानपुर देहात में 520 और मैनपुरी में 2737 सारस पाए गए। 2021 में 17665 सारस पाए गए।