सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बर्खास्त आइपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जिसमें उन्होंने 1990 के हिरासत में मौत के मामले में दोषी ठहराए जाने के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में अपनी अपील के समर्थन में अतिरिक्त साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
बर्खास्त आइपीएस अधिकारी भट्ट ने प्रभुदास वैष्णानी की हिरासत में मौत के 1990 के एक मामले में अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। वैष्णानी को सांप्रदायिक दंगों के बाद जामनगर पुलिस ने पकड़ा था। न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि इस मामलें में कोई औपचारिक नोटिस जारी करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह पहले की राज्य की ओर से पेश हो गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को 11 अप्रैल तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को 18 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया। भट्ट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने कहा कि गुजरात सरकार ने कई बार मामले पर स्थगन मांगने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया है। भट्ट ने हिरासत में मौत के 30 साल पुराने मामले में उम्रकैद की सजा को निलंबित करने की अपनी याचिका अगस्त 2022 में सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली थी।