लखनऊ । कोरोना महामारी के बाद भी बिजली की मशीनरी बनाने वाली ईकाईयों का कारोबार बढ़ा है। वित्त वर्ष 2020-21 में इस उद्योग में कार्यरत विभिन्न ईकाईयों की ओर से लिए जाने वाले कर्ज में बढ़ोत्तरी हुयी है। बिजली ईकाईयों के कर्ज के एनपीए होने की स्थिति में भी सुधार दर्ज किया गया है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास में लगे प्रमुख वित्तीय संस्थान, भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और एक प्रमुख भारतीय ऋण ब्यूरो सीआरआईएफ हाई मार्क ने आज इंडस्ट्री स्पॉटलाइट के चौथे संस्करण लोकार्पण किया। यह अंक इलेक्ट्रिकल मशीनरी उद्योग का विश्लेषण करता है।
रिपोर्ट के मुताबिक मार्च 2021 तक इस क्षेत्र द्वारा प्राप्त ऋण की कुल राशि 94.8 हजार करोड़ थी, जिसमें वर्ष-दर-वर्ष 3.2 फीसदी की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मार्च 2021 तक इस क्षेत्र में सक्रिय ऋणों की संख्या 199.49 हजार थी। इस उद्योग ने दिसंबर 2018 से एनपीए में तिमाही गिरावट देखी है। मार्च 2021 में एनपीए में वर्ष-दर-वर्ष 5.83 फीसदी का सुधार हुआ और यह 13.6 फीसदी जबकि तिमाही दर तिमाही 0.35 फीसदी की कमी दर्ज हुई है ।
भारत स्विचगियर और कंट्रोल गियर, ट्रांसफॉर्मर और पुर्जे, औद्योगिक इलेक्ट्रॉनिक्स, केबल, ट्रांसमिशन लाइन टावर, कंडक्टर, रोटेटिंग मशीन (मोटर, एसी जनरेटर, और जनरेटिंग सेट) और पुर्जों का एक प्रमुख निर्यातक है। रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2021 तक निर्यात ऋण 2.2 हजार करोड़ रुपये था, जिसमें लगभग 8 फीसदी तिमाही दर तिमाही और 6 फीसदी वर्ष दर वर्ष गिरावट रही।
सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिवसुब्रमणियन रमण ने कहा कि भारत दुनिया में बिजली का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जबकि भारत में विद्युत मशीनरी उद्योग अर्थव्यवस्था के मुख्य आधारों में से एक है। यह क्षेत्र देश के विनिर्माण उत्पादन में 8 फीसदी, देश के सकल घरेलू उत्पाद में 1.5 फीसदी और देश के निर्यात में 1.5 फीसदी का योगदान देता है। सरकार ने घरेलू विनिर्माण को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने के लिए प्रोत्साहन के साथ 2030 तक 30 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहन के प्रयोग का लक्ष्य रखा है।