उत्तर प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक भी नया कर नहीं लगाया गया : सीएम योगी


लखनऊ, 4 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में पिछले 8 वर्षों में एक निश्चित थीम के साथ बजट प्रस्तुत किया गया। इसमें वर्ष 2017-18 का बजट अन्नदाता किसानों, वर्ष 2018-19 का बजट इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा औद्योगिक विकास, वर्ष 2019-20 का बजट महिला सशक्तीकरण, वर्ष 2020-21 का बजट युवाओं तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास, वर्ष 2021-22 का बजट ‘स्वावलंबन से सशक्तीकरण’ की थीम पर केंद्रित था।

उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 का बजट ‘अंत्योदय से आत्मनिर्भरता’ का बजट था। इसी तरह वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट प्रदेश के ‘त्वरित, सर्वसमावेशी और समग्र विकास के साथ-साथ आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की नींव को सुदृढ़ करने वाला’ था। वर्ष 2024-25 का बजट प्रभु श्री राम को अर्पित था। यह बजट लोकमंगल को समर्पित था।

सीएम योगी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट सनातन संस्कृति की सर्वे भवन्तु सुखिनः की अवधारणा के अनुरूप गरीब, अन्नदाता किसान, युवा और महिला उत्थान को समर्पित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न को साकार करते हुए ‘वंचित को वरीयता’ इस बजट का केंद्रीय भाव है। बजट से अंत्योदय से उन्नत अर्थव्यवस्था तक, ईज ऑफ लिविंग से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तक, कृषि से गरीब कल्याण तक, आस्था से आजीविका तक, शिक्षा से स्वावलंबन तक, संस्कृति से समृद्धि तक और महिला सशक्तीकरण के संकल्प को समवेत करते हुए एक विकसित उत्तर प्रदेश की राह मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025-26 का बजट आकार 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ रुपये से अधिक का है। यह देश के अंदर किसी राज्य की तुलना में सबसे बड़ा बजट है। यह बजट वर्ष 2016-17 (3.46 लाख करोड़) की तुलना में लगभग ढाई गुना बड़ा है। वर्ष 2024-25 के बजट के सापेक्ष इसमें 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बढ़ा हुआ बजट का आकार सिर्फ व्यय नहीं, बल्कि अंतिम पायदान तक विकास की पहुंच, अवसंरचनात्मक विस्तार, आमजन के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का प्रयास, प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और आर्थिक विकास को तेज करने का परिचायक होता है। बजट के आकार में यह बढ़ोत्तरी राज्य के सामर्थ्य के अनुरूप है। यह लोक कल्याण के साथ अर्थव्यवस्था को विस्तार देने की सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सीएम योगी ने प्राप्तियों के बारे में बताया कि 2016-17 में कुल राजस्व प्राप्तियां 2 लाख 56 हजार 875 करोड़ रुपये हुईं थी, जबकि चालू वित्तीय वर्ष के जनवरी माह तक ही 4 लाख 10 हजार करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हो चुका है। इसी तरह आगामी वर्ष में कुल प्राप्तियां 7 लाख 79 हजार 242 करोड़ रुपये अनुमानित है। कुल प्राप्तियों में 6 लाख 62 हजार 690 करोड़ 93 लाख रुपये की राजस्व प्राप्तियां तथा 1 लाख 16 हजार 551 करोड़ 72 लाख रुपये की पूंजीगत प्राप्तियां सम्मिलित हैं। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का अंश 5 लाख 50 हजार 172 करोड़ 21 लाख है। इसमें केंद्रीय करों में राज्य का अंश 2 लाख 55 हजार 172 करोड़ 21 लाख सम्मिलित है। वहीं, स्वयं का कर राजस्व 2 लाख 95 हजार करोड़ रुपये अनुमानित है। कुल राजस्व प्राप्तियों का 45 प्रतिशत स्वयं के कर राजस्व से प्राप्त होना अनुमानित है। स्वयं के कर की राजस्व प्राप्तियों में वर्ष 2022-23, वर्ष 2023-24 तथा वर्ष 2024-25 के दौरान देश के सभी राज्यों में उत्तर प्रदेश का द्वितीय स्थान रहा।

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल व्यय 8 लाख 8 हजार 736 करोड़ 6 लाख रुपये अनुमानित है। कुल व्यय में 5 लाख 83 हजार 174 करोड़ 57 लाख रुपये राजस्व लेखे का व्यय है तथा 2 लाख 25 हजार 561 करोड़ 49 लाख रुपये पूंजी लेखे का व्यय है। पूंजीगत व्यय कैपिटल एक्सपेंडिचर विकासात्मक खर्च है, जो इकोनॉमी की दिशा तय करता है। इससे उद्योग प्रोत्साहित होते हैं, सप्लाई चेन बेहतर होती है, निजी निवेश बढ़ता है और इन सबसे रोजगार का सृजन होता है। निर्माण और रोजगार सृजन के इस समन्वय से सस्टनेबल और फास्ट ग्रोइंग इकोनॉमी आकार लेती है। बजट में कुल व्यय में 2 लाख 25 हजार 561 करोड़ 49 लाख रुपये कैपिटल एक्सपेंडिचर सम्मिलित है, जो कुल बजट का लगभग 20.5 प्रतिशत है।

सीएम योगी ने कहा कि इस बार बजट में कई नई योजनाएं सम्मिलित की गई हैं। इसके लिए 28 हजार 478 करोड़ 34 लाख रुपये का प्रावधान है। वर्ष 2016-2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 52,671 रुपये थी, जबकि यह वर्ष 2023-2024 में 93,514 रुपये के स्तर पर है। आगामी वर्ष में राजकोषीय घाटा 91 हजार 399 करोड़ 80 लाख रुपये अनुमानित है, जो वर्ष के लिए अनुमानित जीएसडीपी 2.97 प्रतिशत है। यह एफआरबीएम की तय सीमा के भीतर है। जहां एक ओर प्रदेश सरकार का विजन सुरक्षा, विकास और सुशासन है, वहीं बजट में राजकोषीय अनुशासन भी निहित है। यह दर्शाता है कि सरकार ने वित्तीय अनुशासन का अनुपालन करते हुए विकास को तीव्र गति देने में सफलता अर्जित की है। नीति आयोग द्वारा राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में प्रकाशित रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश को फ्रंट रनर (अग्रणी) राज्य की श्रेणी में रखा गया है।

उन्होंने कहा कि आयोग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 की अवधि में प्रदेश के समेकित ‘फिस्कल हेल्थ इंडेक्स’ में 8.9 अंकों का इजाफा हुआ है। व्यय की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है, वर्ष 2018 से 2023 की अवधि में पूंजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा। राजस्व बचत तथा प्राथमिक बचत के कारण सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में ऋणग्रस्तता में कमी दर्ज की गई। आरबीआई द्वारा राज्यों के बजट के संबंध में 2024-25 में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022- 2023, 2023-2024 एवं 2024-2025 में क्रमशः 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत एवं 11.6 प्रतिशत रहा, जो महाराष्ट्र के उपरांत देश में सर्वाधिक है। उक्त वर्षों में सभी राज्यों में राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष ब्याज पर व्यय क्रमशः 12.6, 12.3 एवं 12.1 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 10.3, 9.4 एवं 8.9 रहा।

उन्होंने कहा कि सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों की स्वयं के कर से प्राप्ति का औसत उक्त वर्षों में क्रमशः 6.5, 7.0 तथा 7.2 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह अनुपात क्रमशः 7.6, 9.8 तथा 10 प्रतिशत रहा। उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। यहां सबसे अधिक संसाधन होने के बावजूद 1950 से 2017 तक प्रदेश की जीएसडीपी 12.75 लाख करोड़ तक पहुंच सकी। वर्ष 2017 में जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों पर विश्वास जताया और आज 8 वर्षों में प्रदेश की जीएसडीपी दोगुना से अधिक होकर 2024-25 में 27.51 लाख करोड़ होने जा रही है। अब 2025-26 में 30.77 लाख करोड़ जीएसडीपी का लक्ष्य है। देश की जीडीपी में 9.2% हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश, देश के अंदर दूसरे स्थान पर है। वर्ष 2023-2024 में भारत की जीडीपी की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है।

सीएम योगी ने कहा कि बीते 5 वर्ष से प्रदेश रेवेन्यू सरप्लस स्टेट है। कर अपवंचन को रोका गया है। रेवेन्यू लीकेज को समाप्त किया गया है। डिजिटल मैकेनिज्म को अपनाया गया, जिससे पारदर्शिता बढ़ी। पहले यही पैसे विकास और वेलफेयर के काम नहीं आ पाते थे। आज पाई-पाई प्रदेश हित में उपयोग हो रही है और देश के अंदर सर्वश्रेष्ठ इंफ्रास्ट्रक्चर देने में सफलता मिल रही है। बीते 8 वर्ष में एक भी नया टैक्स नहीं लगाया गया। प्रदेश में डीजल-पेट्रोल की दरें देश में सबसे कम हैं, बावजूद इसके उत्तर प्रदेश राजस्व सरप्लस स्टेट के रूप में समृद्धि के नए सोपान चढ़ता जा रहा है। इस सफलता के पीछे रामराज्य की अवधारणा ही है।

इस दौरान सीएम योगी ने ‘बरसत हरसत सब लखें, करसत लखे न कोय, तुलसी प्रजा सुभाग से, भूप भानु सो होय’ चौपाई सुनाई। उन्हाेंने कहा कि श्रीराम जी भरत से कहते हैं कि हमें प्रजा से कर ऐसे लेना चाहिए, जैसे सूर्य लेता है। जैसे सूर्य समुद्र, नदी, तालाब से पानी लेता है, लेकिन किसी को पता नहीं चलता। जब वह बादलों के रूप में जरूरत की जगहों पर बरसता है तो सबको पता चलता है, खासकर जब जरूरत की जगह पर बरसता है तो सभी खुश हो जाते हैं। इसी प्रकार, सरकार को कर इस तरह से लेना चाहिए कि किसी को पता न चले, पीड़ा न हो। लेकिन, जब उसी टैक्स का इस्तेमाल जनता के हित में खर्च हो, जैसे हाइवे बनें, पुल बनें, स्कूल-कालेज बनें, हास्पिटल बनें तो सबको पता चले। हमारी सरकार यही भाव लेकर काम कर रही है।

–आईएएनएस

एसके/एबीएम


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