जौनपुर ने राजस्व वादों के निस्तारण में फिर मारी बाजी, प्रदेशभर में पहला स्थान


लखनऊ, 3 मार्च (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश में राजस्व मामलों के त्वरित निस्तारण की दिशा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त मॉनिटरिंग का असर साफ नजर आ रहा है। सीएम योगी खुद हर माह जिलावार मामलों की समीक्षा भी करते रहते हैं। योगी सरकार की विशेष पहल के तहत तेजी से मामलों के निपटारे की रणनीति को अपनाया गया, जिससे राजस्व विवादों के मामलों में बड़ा सुधार देखने को मिला है।

इसी का नतीजा है कि पिछले कुछ वर्षों में प्रदेशभर में राजस्व वादों के निस्तारण में तेजी देखी गई है। बोर्ड ऑफ रेवन्यू द्वारा फरवरी माह की जारी रिपोर्ट में एक बार फिर पूरे प्रदेश में जौनपुर जिले ने मामलों के निस्तारण में बाजी मारी है, जबकि दूसरे स्थान पर बलिया और तीसरे स्थान पर गाजीपुर है। वहीं, टॉप टेन की बात करें तो कुशीनगर, झांसी और लखीमपुर खीरी ने अपनी जगह बनाई है।

पिछले पांच माह से राजस्व वादों के निस्तारण में जौनपुर शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।

मुख्यमंत्री योगी के स्पष्ट निर्देश हैं कि राजस्व विवादों के मामलों को प्राथमिकता के आधार पर सुलझाया जाए। उनकी इस पहल का उद्देश्य न केवल जनता को त्वरित न्याय दिलाना है, बल्कि प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को भी बढ़ावा देना है। इसी के तहत प्रदेश के जिलाधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी पूरी तत्परता से मामलों का निस्तारण कर रहे हैं।

जौनपुर डीएम दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुसार राजस्व मामलों को निस्तारित किया जा रहा है।

बोर्ड ऑफ रेवन्यू की फरवरी माह की राजस्व न्यायालय कंप्यूटरीकृत प्रबंधन प्रणाली (आरसीसीएमएस) की रिपोर्ट के अनुसार जौनपुर की पांच राजस्व न्यायालयों ने बोर्ड के निर्धारित मानक निस्तारण से अधिक मामलों का निस्तारण किया है। जौनपुर की पांच राजस्व न्यायालयों ने बोर्ड के प्रति माह निस्तारण के मानक 250 के सापेक्ष 428 मामलों का निस्तारण किया है। इसका प्रतिशत 171.20 है।

डीएम दिनेश सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी न्यायालय ने निर्धारित 30 मामलों के मानक के मुकाबले 60 मामलों का निस्तारण कर 200 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की। इसी प्रकार अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) ने 50 के मानक के मुकाबले 110 मामलों का निस्तारण कर 220 प्रतिशत का प्रदर्शन किया। वहीं, अपर जिलाधिकारी भू-राजस्व न्यायालय ने निर्धारित 50 के मानक के सापेक्ष 168 मामलों का निस्तारण कर 336 प्रतिशत का प्रदर्शन किया। इसी के साथ जौनपुर पिछले पांच माह से राजस्व वादों के निस्तारण में शीर्ष स्थान पर बना हुआ है।

बलिया के तीन न्यायालयों ने 130 के मानक के मुकाबले 146 मामलों का निस्तारण किया, जिसका रेश्यो 112.31 प्रतिशत है। इसी के साथ बलिया ने दूसरा स्थान हासिल किया है। वहीं, गाजीपुर के 4 न्यायालयों ने 190 के मानक के मुकाबले 209 मामलों का निस्तारण कर तीसरा स्थान प्राप्त किया है। इसका रेश्यो 110 प्रतिशत है।

इसी तरह बोर्ड ऑफ रेवन्यू के मानक के अनुसार, राजस्व वादों के मामलों के निस्तारण में कुशीनगर, झांसी, लखीमपुर खीरी, अंबेडकरनगर, श्रावस्ती, एटा और मऊ ने टॉप टेन में अपनी जगह बनाई है। इनमें कुशीनगर ने 248, झांसी ने 288, लखीमपुर खीरी ने 234, अंबेडकरनगर ने 186, श्रावस्ती ने 59, एटा ने 127 और मऊ ने 156 मामलों का निस्तारण फरवरी माह में किया है।

लखीमपुर खीरी जिलाधिकारी दुर्गाशक्ति नागपाल ने बताया कि राजस्व परिषद के निर्धारित निस्तारण मानक 300 मामलों के सापेक्ष 234 मामलों का निस्तारण किया गया है। इसी के साथ खीरी निस्तारण के मामले में प्रदेश भर में छठे स्थान पर है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश में सबसे बड़ा जिला होने की वजह से सबसे अधिक राजस्व के मामले आते हैं। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप प्राथमिकता के आधार पर मामलों का निस्तारण किया जा रहा है। बोर्ड की ओर से जारी रिपोर्ट के बाद सभी अधिकारियों के साथ बैठक की गई, जिसमें उन्हें मामलों के निस्तारण में और तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं।

–आईएएनएस

एसके/एबीएम


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