प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जांच बेहद जरूरी : शोध

प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य जांच बेहद जरूरी : शोध

नई दिल्ली, 5 अगस्त (आईएएनएस)। एक शोध में प्रोस्टेट कैंसर की जांच के दौरान मानसिक स्वास्थ्य की जांच पर भी जोर दिया गया है।

शोध में कहा गया है कि प्रोस्टेट कैंसर की जांच के साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्‍यान दिया जाना जरूरी है। यह बात भी कही गई है कि प्रोस्टेट कैंसर के पता चलने के तुरंत बाद पुरुषों को अधिक सहायता की आवश्यकता होती है।

शोध में पाया गया कि प्रोस्टेट कैंसर के 15 प्रतिशत रोगियों ने प्रोस्टेट कैंसर के पता चलने के बाद मानसिक स्वास्थ्य दवाएं लेना शुरू कर दिया, जबकि छह प्रतिशत ने मानसिक स्वास्थ्य के लिए मदद मांगी।

यह निष्कर्ष बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल प्रोस्टेट कैंसर के उन रोगियों के प्रतिशत को उजागर करता है जो मानसिक स्वास्थ्य सहायता चाहते हैं, बल्कि उन लोगों के प्रतिशत को भी उजागर करता है जो सहायता नहीं चाहते।

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. टेनॉ तिरुये ने कहा कि शोध प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित सभी पुरुषों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवाएंं और सहायता प्रदान करने की जरूरत को उजागर करता है।

कैलिफोर्निया में प्रोस्टेट कैंसर फाउंडेशन के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर दुनिया भर में पुरुषों में कैंसर का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। उच्च जीवन दर के बावजूद प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझना पड़ता है।

वास्तव में, प्रोस्टेट कैंसर के रोगियों में अवसाद और चिंता की दर सामान्य से काफी अधिक है। इसके साथ ही उनमें आत्महत्या का जोखिम भी सबसे ज्‍यादा है।

अध्ययन में पाया गया कि 15 प्रतिशत रोगियों ने कैंसर के पता चलने के बाद से ही चिंता-रोधी और अवसाद-रोधी दवाएं लेनी शुरू कर दी थी। वहीं छह प्रतिशत ने मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए सहायता मांगी।

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ ऑस्ट्रेलिया के वरिष्ठ शोधकर्ता, डॉ. केरी बेकमैन ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की बात आने पर एक चौथाई से भी कम पुरुष मदद चाहते हैं। आंकड़े बताते हैं कि कई पुरुष मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के लिए मदद मांगने में संघर्ष करते हैं।

डॉ. बेकमैन ने कहा, “प्रोस्टेट कैंसर का पता चलने के बाद पुरुषों को इलाज के दौरान मानसिक स्वास्थ्य सहायता देनी चहिए।

मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा को सामान्य बनाने से ही कल्याणकारी उपकरणों और सेवाओं तक पहुंच में सुधार हो सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित पुरुषों को अपनी चिंताओं को व्यक्त करने और आवश्यक सहायता प्राप्त करने का हर अवसर मिले।

–आईएएनएस

एमकेएस/एसकेपी

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