गोरखपुर में पांच दिवसीय दौरे पर RSS प्रमुख मोहन भागवत

गोरखपुर में पांच दिवसीय दौरे पर RSS प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत अपने पांच दिवसीय दौरे पर बुधवार को गोरखपुर पहुंचे थे। आज यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर दौरे पर आएंगे और मोहन भागवत से मुलाकात कर सकते है। लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद आरएसएस प्रमुख और मुख्यमंत्री योगी की यह पहली मुलाकात होगी।

भागवत ने कार्यकर्ता विकास वर्ग शिविर में लिया हिस्सा
बता दें कि राज्य में भारतीय जनता पार्टी और सहयोगी दलों का प्रदर्शन 2014 और 2019 के मुकाबले खराब रहा है। इस बार लोकसभा चुनाव में राज्य की 80 सीट में भाजपा को सिर्फ 33 और सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को दो तथा अपना दल (एस) को एक सीट मिली है। मुख्‍य विपक्षी दल सपा को 37 और उसकी सहयोगी कांग्रेस को छह सीट पर जीत मिली है। एक सीट आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने भी जीती है। यहां चिउटहा इलाके में एसवीएम पब्लिक स्कूल में ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग’ में काशी, गोरखपुर, कानपुर और अवध क्षेत्र के करीब 280 स्वयंसेवक हिस्सा ले रहे हैं। शिविर की शुरुआत तीन जून को हुई थी। भागवत ने स्कूल के ठीक सामने स्थापित मंच से स्वयंसेवक पथ संचलन के अनुशासन का अवलोकन किया। इस जुलूस ने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का संदेश दिया।

राम का विरोध करने वालों को सत्ता नहीं मिलीः भागवत
अपने पांच दिवसीय प्रवास के दौरान आरएसएस प्रमुख स्वयंसेवकों और प्रशिक्षकों के साथ अलग-अलग बैठकें करेंगे। आयोजन स्थल के अंदर और बाहर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं और केवल चयनित स्वयंसेवकों को ही कार्यक्रम स्थल में प्रवेश की अनुमति है। भागवत ने सोमवार को नागपुर में संगठन के ‘कार्यकर्ता विकास वर्ग-द्वितीय’ के समापन कार्यक्रम में आरएसएस के प्रशिक्षुओं की एक सभा को संबोधित किया था, जहां उन्होंने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी। आरएसएस के नेता इंद्रेश कुमार ने बृहस्पतिवार को जयपुर के पास कनोटा में ‘रामरथ अयोध्या यात्रा दर्शन पूजन समारोह’ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा था कि जो पार्टी राम की पूजा करती थी, वह अहंकारी हो गई, ऐसे में 2024 के चुनाव में वह सबसे बड़ी पार्टी बन तो गयी, लेकिन जो उसे सत्ता (अकेले पूर्ण बहुमत) मिलनी चाहिए थी, उसे भगवान राम ने अहंकार के कारण रोक दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग राम का विरोध करते थे, उनमें से किसी को भी सत्ता नहीं मिली, यहां तक कि सभी को मिलाकर दूसरे नंबर पर खड़ा कर दिया गया।

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