लखनऊ, 21 जनवरी (आईएएनएस)। योगी सरकार महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की चुनौती से निपटने के लिए सहजन के उपयोग को बढ़ावा देने जा रही है। इसके लिए वृहद स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से कुपोषण से जुड़े विषय पर जागरूकता बढ़ेगी और महिलाओं, किशोरियों का स्वास्थ्य बेहतर होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहजन के उपयोग को प्रोत्साहित करते रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते गोरखपुर, वाराणसी और झांसी के 35 ब्लॉकों में अभियान को गति देते हुए सहजन के रोपण और उसके उपयोग से जुड़े नवाचार को बढ़ावा दिया जाएगा।
राज्य परिवार नियोजन सेवा अभिनवीकरण परियोजना एजेंसी (सिफ्सा) और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के सहयोग से राज्य स्तर पर इस परियोजना की शुरुआत पोषण माह के दौरान परियोजना के लोगो के अनावरण के साथ अधिशासी निदेशक डॉ. पिंकी जोवल ने किया था।
राष्ट्रीय पोषण माह में सघन ऑनलाइन जागरूकता अभियान चलाया गया और सहजन से जुड़ी जानकारी और सुझाव के लिए 9569703306 व्हाट्सएप हेल्पलाइन लॉन्च की गई। इसका उद्देश्य लोगों को सहजन के फायदे और उपयोग के बारे में जानकारी देना है।
सिफ्सा के उप-महाप्रबंधक दिग्विजय त्रिवेदी ने बताया कि इन तीनों जिलों में पोस्टर, बैनर के माध्यम से सहजन के उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाई जाएगी। जिलों के सभी आयुष्मान आरोग्य मंदिरों और 100 चिन्हित स्कूल तथा आंगनबाड़ी केन्द्रों पर सहजन के लाभों पर केंद्रित वॉल पेंटिंग होगी, जिससे किशोरियों और ग्रामीण जनता तक जानकारी पहुंचेगी। नवविवाहित दंपति को दी जाने वाली ‘शगुन किट’ में परिवार नियोजन सामग्री के साथ सहजन के फायदे वाला लीफलेट शामिल किया जाएगा, जिससे गर्भावस्था के दौरान सहजन के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
परियोजना जनपद के तीन चिह्नित विकास खंड में सर्वाइवल दर पर एवं नवाचार पर संपूर्ण परियोजना जनपद पर प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था है। इन श्रेणियों में प्रतिभागियों की वरीयता क्रम के आधार पर प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय पुरस्कार के साथ कुछ सांत्वना पुरस्कार जनपद स्तर पर दिया जाएगा। समुदाय स्तर पर गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और जिलों के अनुभव साझा करने के लिए मासिक/त्रैमासिक ऑनलाइन बैठक की जाएगी, जिसमें आशा संगिनियों, बीसीपीएम, संबंधित विभागों, यूनिसेफ सहित कार्यशील सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
सहजन चमत्कारी आरोग्य वृक्ष है। अत्यधिक पौष्टिकता और औषधीय गुणों के कारण यह कई तरह की पोषण कमियों और बीमारियों से निपटने की क्षमता रखता है। खासकर एनीमिया जैसी समस्या जो महिलाओं, किशोरियों और बच्चों को खासतौर पर प्रभावित करती है। सहजन के पत्ते, फल और बीज सभी पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनमें आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करने और रक्त निर्माण में मदद करती है। हाल के अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि सहजन का नियमित सेवन एनीमिया के लक्षणों को कम करने में सहायक होता है।
उपमहाप्रबंधक के मुताबिक सहजन की 100 ग्राम पत्तियों से दही से 9 गुना ज्यादा प्रोटीन, संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन सी, गाजर से 4 गुना ज्यादा विटामिन ए, केले से 15 गुना ज्यादा पोटैशियम, पालक से 25 गुना ज्यादा आयरन, दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्शियम मिलता है।
सहजन का उपयोग –
सहजन को सलाद, सूप या पत्तेदार सब्जियों के रूप में आहार में शामिल किया जा सकता है।
सहजन के पत्तों का पाउडर बनाकर इसे दूध या अन्य खाद्य पदार्थों में मिलाकर भी सेवन किया जा सकता है।
एनीमिया से ग्रस्त लोगों को सहजन का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए, क्योंकि यह न केवल आयरन की कमी को पूरा करता है बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है।
सहजन की पत्तियों को पेड़ से तोड़कर छाया में सुखाएं, कूटकर बारीक करके छानकर रख लें। फिर इस चूर्ण को सब्जी में मसाले की तरह प्रयोग करें। इसके साथ काढ़ा बनाकर आटे में गूंथकर प्रयोग किया जा सकता है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे–5 के अनुसार प्रदेश में 15 से 49 वर्ष की लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। वहीं, छह माह से पांच वर्ष तक के लगभग 66 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं। विभिन्न शोध पत्रों एवं आधुनिक वैज्ञानिक अध्ययन से स्पष्ट है कि सहजन पोषण का भंडार है। सहजन का हर भाग उपयोगी है और इसे भंडारित कर बाद में भी प्रयोग कर सकते हैं।
–आईएएनएस
एसके/एबीएम