विश्व बैंक ने केरल के स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम को दी मंजूरी, लोगों को मिलेगा बहु-स्तरीय आपातकालीन और ट्रॉमा सेवा का लाभ


नई दिल्ली, 24 अक्टूबर (आईएएनएस)। विश्व बैंक ने शुक्रवार को केरल में एक नए स्वास्थ्य सुधार कार्यक्रम को मंजूरी दी है। इस प्रोग्राम का उद्देश्य राज्य के लगभग 1.1 करोड़ बुजुर्ग और कमजोर लोगों की जीवन अवधि बढ़ाना और उनकी जीवन गुणवत्ता में सुधार करना है।

इसके तहत लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक आसान पहुंच मिलेगी। इस पहल के लिए विश्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय बैंक ऑफ रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (आईबीआरडी) से 28 करोड़ डॉलर का ऋण भी मंजूर किया है।

इस कार्यक्रम के तहत केरल की स्वास्थ्य प्रणाली को और मजबूत बनाया जाएगा, ताकि यह प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु बदलाव के प्रभाव से सुरक्षित रह सके। राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को व्यापक बनाने के साथ-साथ डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं पर भी जोर दिया जाएगा। इसमें ई-स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाएगा, मरीजों के डेटा को एकीकृत प्लेटफॉर्म पर रखा जाएगा और साइबर सुरक्षा को बढ़ाया जाएगा ताकि मरीजों की जानकारी सुरक्षित रहे।

कार्यक्रम का एक मुख्य उद्देश्य हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की बेहतर देखभाल करना है। इसके लिए प्रत्येक मरीज की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के माध्यम से ट्रैक की जाएगी। इसके अलावा, घर पर देखभाल का मॉडल भी बनाया जाएगा, जिससे बिस्तर पर पड़े, घर से बाहर नहीं जा पाने वाले बुजुर्ग और कमजोर लोग भी स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे।

विश्व बैंक के भारत के कार्यकारी निदेशक पॉल प्रोसी ने कहा, ”अच्छा स्वास्थ्य लोगों को सशक्त बनाता है, रोजगार पैदा करता है और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाता है। मजबूत स्वास्थ्य प्रणाली आपातकाल और महामारी जैसी स्थिति में जल्दी और सही प्रतिक्रिया देने में मदद करती है।”

उन्होंने कहा, ”केरल में महिलाओं की शिक्षा का स्तर बहुत ऊंचा है। यदि महिलाएं स्वस्थ रहें, तो वे राज्य की अर्थव्यवस्था में और योगदान दे सकती हैं। इस कार्यक्रम के तहत हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों में 40 प्रतिशत सुधार और महिलाओं में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की जांच में 60 प्रतिशत बढ़ोतरी का लक्ष्य रखा गया है। इससे बचाई जा सकने वाली मौतों को कम करने में मदद मिलेगी।”

केरल ने पिछले 20 सालों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में लगातार सुधार किया है। राज्य की नवजात मृत्यु दर 3.4 प्रति 1,000, शिशु मृत्यु दर 4.4 प्रति 1,000, पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 5.2 प्रति 1,000, और मातृत्व मृत्यु दर 19 प्रति 100,000 रही है। यह सफलता उच्च साक्षरता, स्वास्थ्य जागरूकता, और स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्था की वजह से मिली है।

हालांकि, राज्य में अब नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और कैंसर जैसी गैर-संक्रामक बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। इसके साथ ही, बुजुर्गों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और अब वे राज्य की कुल आबादी का 20 प्रतिशत से अधिक हिस्सा बन चुके हैं। इसके कारण स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव बढ़ गया है।

आपातकालीन और दुर्घटना देखभाल में भी कमियां हैं और हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 4,000 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते हैं।

इस नए कार्यक्रम के माध्यम से स्थानीय सरकार के संग मिलकर मानक प्रक्रियाओं और नियमों को अपनाया जाएगा। इसमें एंटीबायोटिक दवाओं का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करना और जानवरों से फैलने वाली बीमारियों के लिए तेज और भरोसेमंद लैब रिपोर्टिंग प्रणाली तैयार करना शामिल है।

वायनाड, कोझिकोड, कासरगोड़, पालक्काड और अलप्पुझा में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जलवायु अनुकूल उपाय अपनाएंगे। इसका मकसद ऊर्जा की बचत करना और गर्मी व बाढ़ जैसी परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवाओं को लगातार बनाए रखना है।

केरल ने ‘वन हेल्थ’ दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें मानव, पशु और पर्यावरण स्वास्थ्य को जोड़कर काम किया जाता है। विश्व बैंक के अनुभव और समर्थन का उपयोग करते हुए राज्य में एक मजबूत सामुदायिक निगरानी प्रणाली भी बनाई जा रही है। इस प्रणाली से बुजुर्गों और कमजोर लोगों तक बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जा सकेंगी।

इसके अलावा, कार्यक्रम बहु-स्तरीय आपातकालीन और दुर्घटना देखभाल प्रणाली का समर्थन करेगा। इससे लगभग 85 लाख लोगों को समय पर और अच्छी गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। कार्यक्रम के तहत 28 करोड़ डॉलर का ऋण 25 साल की अवधि में चुकाया जाएगा, जिसमें पहले 5 साल की छूट अवधि रखी गई है।

–आईएएनएस

पीके/एएस


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