सेमीकंडक्टर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी 2030 तक 35 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी: रिपोर्ट


नई दिल्ली, 7 मार्च (आईएएनएस)। भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर में महिलाओं की भागीदारी 2025 में 25 प्रतिशत से बढ़कर 2030 तक 35 प्रतिशत हो जाने का अनुमान है। शुक्रवार को जारी एक लेटेस्टर रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

लीडिंग ग्लोबल टेक्नोलॉजी एंड डिजिटल टैलेंट सॉल्यूशन प्रोवाइडर एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में भारत के 220,000-मजबूत चिप डिजाइन और इंजीनियरिंग वर्कफोर्स में एक चौथाई महिलाएं हैं, लेकिन 2027 तक यह आंकड़ा 30 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है।

भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर में जेंडर गैप को अपस्किलिंग प्रोग्राम, वेतन समानता और मातृत्व अवकाश, करियर ब्रेक सपोर्ट, फ्लेक्सिबल वर्क ऑप्शन और प्रोजेक्ट-बेस्ड रोल के जरिए खत्म किया जा सकता है।

भारत के तेजी से बढ़ते सेमीकंडक्टर सेक्टर के वित्त वर्ष 31 तक 79.20 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। ग्लोबल इंडस्ट्री दशक के अंत तक एक ट्रिलियन डॉलर का बाजार बनने की ओर अग्रसर है।

यह वृद्धि टैलेंट के लिए अवसर पेश करती है, भारतीय सेमीकंडक्टर सेक्टर द्वारा 2026 तक 1 मिलियन नौकरियां पैदा करने का अनुमान है।

हालांकि, इस पैमाने पर पहुंचने के लिए इंक्लूसिव वर्कफोर्स की जरूरत होती है क्योंकि यह इंडस्ट्री मेल-डोमिनेटेड फील्ड के रूप में अकेले नहीं पनप सकता।

रिपोर्ट में बताया गया है कि इसके विकास और इनोवेशन को आगे बढ़ाने में महिलाओं की भागीदारी जरूरी होगी।

एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलुग ने कहा, “महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए मानसिकता और इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव की जरूरत है। इसका मतलब है कि जेंडर-न्यूट्रल नीतियों और समान अवसरों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इसके अलावा, श्रमिक आवास, स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं और कुशल परिवहन के रूप में इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव भी कुशल वर्कफोर्स को आकर्षित करने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”

उन्होंने कहा, “सरकार और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग सुरक्षित, सस्टेनेबल और वर्कर-फ्रेंडली एनवायरनमेंट बनाने में महत्वपूर्ण होगा। जैसे-जैसे भारत अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ा रहा है, महिलाओं को डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम में इंटीग्रेट करना जरूरी होगा।”

चिप सेमीकंडक्टर निर्माण में, पुरुष और महिला भागीदारी 60:40 है। वहीं, चिप डिजाइन में यह भागीदारी 70:30 है। एटीएमपी (असेंबली, परीक्षण, अंकन और पैकेजिंग) में पुरुष और महिला भागीदारी 80:20 है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में एक सस्टेनेबल और डायवर्स सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने के लिए इस अंतर को पाटना जरूरी है।

इसमें कहा गया है कि सही दिशा में उठाए कदम से भारत में जेंडर गैप पाटने में मदद मिलेगी और इसमें सेमीकंडक्टर सेक्टर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की भी क्षमता है।

–आईएएनएस

एसकेटी/केआर


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