राजस्थान चुनाव : क्या चुनाव के नतीजों पर आप, सपा और बसपा डालेंगी असर?

राजस्थान चुनाव : क्या चुनाव के नतीजों पर आप, सपा और बसपा डालेंगी असर?

जयपुर, 26 नवंबर (आईएएनएस)। राजस्थान को परंपरागत रूप से “दो दलीय राज्य” के रूप में जाना और देखा जाता है, जहां पिछले कुछ दशकों में सत्ता वैकल्पिक हाथों में स्थानांतरित होने की प्रवृत्ति देखी गई है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए शनिवार को मतदान हुआ, राजनीतिक विश्‍लेषकों का कहना है कि मतदान प्रतिशत “उम्मीद से कहीं अधिक” था।

चुनाव आयोग ने 68 प्रतिशत से अधिक मतदान की घोषणा की, हालांकि अंतिम आंकड़े अभी घोषित नहीं किए गए हैं, क्योंकि कई मतदान केंद्रों पर लोग रात 8 बजे के बाद भी लंबी कतारों में खड़े थे।

जहां कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षक मतदान के प्रतिशत को देखते हुए भाजपा की तरफ रुझान मान रहे हैं, वहीं इस बात पर भी चर्चा हो रही है कि क्या बागी और बसपा, सपा और आप जैसी अन्य पार्टियां नतीजों में बदलाव ला सकती हैं?

सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की टीम के साथ-साथ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का खेमा भी नतीजे का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।

वे तलाश कर रहे हैं कि क्या उनकी संबंधित पार्टियां 85 से अधिक सीटें हासिल कर लेंगी, ताकि वे निर्दलीय, आरएलपी, एसपी और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर 100 का जादुई आंकड़ा छू सकें।

राजनीतिक विश्‍लेषक प्रकाश भंडारी ने कहा, “हालांकि, कांग्रेस लगभग 70 सीटें जीतती दिख रही है। ऐसे में उनके लिए सरकार बनाना मुश्किल लग रहा है।”

उन्होंने कहा, “कांग्रेस की सरकार बनी तो सी.पी. जोशी और भाजपा की सरकार बनी तो सचिन पायलट को विपक्ष का नेता बनाया जा सकता है।”

इस बीच, अन्य राजनीतिक विश्‍लेषक भी भाजपा की सरकार बनाने का संकेत दे रहे हैं।

आख़िरकार, अब चर्चा इस बात की हो रही है कि “कौन बनेगा मुख्यमंत्री?”

राजनीतिक नेताओं का कहना है कि अगर भाजपा को 100 के आसपास सीटें मिलती हैं तो गेंद पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पाले में जा सकती है और उन्हें नेतृत्व करने का मौका दिया जा सकता है। ऐसे में पार्टी को मजबूत करने के लिए निर्दलीय समेत अन्य विधायकों को भी एकजुट किया जा सकता है।

इस बीच, सूत्रों ने कहा कि गहलोत और उनकी टीम भी इसी तरह के संयोजन पर विचार कर रही है।

यदि पार्टी को 75 से अधिक सीटें मिलती हैं, तो राज्य में नए राजनीतिक समीकरण बनाने के लिए निर्दलीय बागियों और बसपा के विधायकों को एकजुट किया जा सकता है।

पिछले दो कार्यकाल में बसपा के सभी छह विधायक दलबदलुओं की भूमिका निभाते हुए कांग्रेस में विलय कर चुके हैं।

इसी तरह समाजवादी पार्टी (सपा) ने भी इस बार राजस्थान में अपने उम्मीदवार उतारे हैं।

आम आदमी पार्टी (आप) ने अभी तक राज्य में खाता नहीं खोला है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, भारत आदिवासी पार्टी के नेताओं को 3-3 सीटें जीतने की उम्मीद है।

शनिवार को कांग्रेस और भाजपा, दोनों ने उम्मीद जताई कि उनकी पार्टी सरकार बनाएगी।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विश्‍वास जताया कि कांग्रेस रेगिस्तानी राज्य में हर पांच साल बाद वैकल्पिक सरकार बनने की दशकों पुरानी प्रवृत्ति को खत्म कर देगी।

गहलोत ने कहा, ”इस बार हम दोबारा सरकार बनाएंगे और ये तय है।”

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी.पी. जोशी ने कहा कि ‘आज लोग पूरे दिन लंबी लाइनों में खड़े रहे और कांग्रेस के कुशासन, जनविरोधी नीतियों और झूठी गारंटी के विरोध में मतदान किया।’

चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नारायण पंचारिया ने कहा, “पिछले पांच वर्षों से राज्य में लोग परेशान हैं, जिस कारण लोगों में कांग्रेस सरकार के खिलाफ गुस्सा है।”

–आईएएनएस

एसजीके

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