दक्षिण कोरिया : सोल के मेयर ने क्यों राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ने का किया ऐलान ?

सोल, 12 अप्रैल (आईएएनएस)। सोल के मेयर ओह से-हून ने शनिवार को कहा कि वह 3 जून को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। उन्होंने पूर्व दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति यून सुक योल की सरकार की ‘नाकामी’ के लिए माफी मांगी।
ओह से-हून ने पश्चिमी सोल में रूढ़िवादी पीपुल्स पावर पार्टी के मुख्यालय में यह एलान किया। माना जा रहा था कि वह चुनाव लड़ेंगे, लेकिन उन्होंने साफ कर दिया कि वो हिस्सा नहीं लेंगे।
राष्ट्रपति चुनाव इसलिए हो रहा है, क्योंकि पूर्व राष्ट्रपति यून को दिसंबर में मार्शल लॉ लागू करने की नाकाम कोशिश के बाद पद से हटा दिया गया था।
ओह से-हून कहा, “असामान्य को सामान्य स्थिति में लाने के लिए मैं एक ऐसे सैनिक की तरह काम करूंगा जो बिना किसी रैंक के हो।”
उन्होंने कहा, “अपनी ही पार्टी के चुने हुए राष्ट्रपति के महाभियोग को लेकर मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं और खुद को पूरी तरह जिम्मेदार महसूस करता हूं।”
ओह से-हून कहा, “मैं देश के कामकाज में आई रुकावट और जनता को हुई निराशा के लिए विनम्रता से माफी मांगता हूं। यून की सरकार की नाकामी के लिए हमारी पार्टी का कोई भी सदस्य जिम्मेदारी से बच नहीं सकता।”
योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक, ओह से-हून ने अपनी पार्टी और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों से अपील की कि वे देश के विकास और जरूरतमंदों की मदद पर ध्यान दें। साथ ही, उन्होंने वादा किया कि जो लोग उनके विचारों से सहमत हैं, उनके साथ मिलकर वह नई सरकार बनाने की कोशिशों का समर्थन करेंगे।
कई रूढ़िवादी नेता आने वाले चुनाव में हिस्सा लेने की घोषणा कर चुके हैं, जिनमें पूर्व श्रम मंत्री किम मून-सू और पीपीपी के पूर्व नेता हान डोंग-हून भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति यून ने 03 दिसंबर की रात को दक्षिण कोरिया में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की, लेकिन संसद द्वारा इसके खिलाफ मतदान किए जाने के बाद इसे निरस्त कर दिया गया।
मार्शल लॉ कुछ घंटों के लिए ही लागू रहा लेकिन इसने देश की राजनीति को हिला कर रख दिया। नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक-योल के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित किया।
यून के महाभियोग का मामला संवैधानिक न्यायालय में गया। न्यायालय ने महाभियोग को जारी रखा जिसके बाद यून को पद छोड़ना पड़ा।
महाभियोग के अलावा, यून को अभी भी अपने मार्शल लॉ के आदेश से संबंधित विद्रोह के आरोपों पर आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है।
संविधान के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति का पद खाली हो जाए तो 60 दिनों के अंदर नया चुनाव कराना जरूरी होता है।
–आईएएनएस
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