महिलाओं को मल्टीपल स्क्लेरोसिस और अल्जाइमर का खतरा ज्यादा, क्यों?


नई दिल्ली, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने एक्स क्रोमोसोम के एक जीन की पहचान की है जो महिला मस्तिष्क में सूजन को बढ़ाता है और यह भी बताता है कि महिलाएं अल्जाइमर रोग और मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारियों से असमान रूप से क्यों प्रभावित होती हैं।

कैलिफोर्निया-लॉस एंजिल्स विश्वविद्यालय की टीम ने पाया कि चूंकि मादा चूहों में दो एक्स गुणसूत्र (क्रोमोसोम) होते हैं, जबकि पुरुषों में केवल एक ही होता है, इसलिए महिलाओं को इंफ्लेमेशन का “डबल डोज” मिलता है। यही एजिंग, अल्जाइमर और मल्टीपल स्क्लेरोसिस को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है।

एक चूहे (मॉडल) का उपयोग करते हुए, उन्होंने केडीएम6ए जीन के बारे में पता लगाया, जो मस्तिष्क के माइक्रोग्लिया (इम्यून सेल्स) में सूजन पैदा करता है।

साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया कि जब केडीएम6ए और उससे जुड़े प्रोटीन को निष्क्रिय किया गया, तो मादा चूहों में मल्टीपल स्क्लेरोसिस जैसी बीमारी और तंत्रिका विकृति दोनों में काफी सुधार हुआ।

यूसीएलए हेल्थ में मल्टीपल स्क्लेरोसिस प्रोग्राम की निदेशक और प्रमुख लेखिका डॉ. रोंडा वोस्कुहल ने कहा, “मल्टीपल स्क्लेरोसिस और अल्जाइमर रोग, दोनों ही पुरुषों की तुलना में महिलाओं को लगभग दो से तीन गुना ज्यादा प्रभावित करते हैं। इसके अलावा, दो-तिहाई स्वस्थ महिलाओं को रजोनिवृत्ति के दौरान ‘ब्रेन फॉग’ होता है। ये नए निष्कर्ष इसकी वजह बताते हैं और इसे दूर करने के लिए एक नए उपचार की ओर इशारा करते हैं।”

जब टीम ने मस्तिष्क की प्रतिरक्षा कोशिकाओं में केडीएम6ए जीन को आनुवंशिक रूप से “नष्ट” किया, तो सूजन पैदा करने वाले मॉलिक्यूल्स (अणु) सक्रिय अवस्था से विश्राम अवस्था में चले गए।

टीम ने मेटफॉर्मिन का उपयोग कर इस जीन द्वारा निर्मित प्रोटीन को भी “नष्ट” किया। इसका व्यापक उपयोग मधुमेह के उपचार में होता है।

वोस्कुहल ने कहा कि हालांकि ये हस्तक्षेप मादा चूहों में अत्यधिक प्रभावी थे, लेकिन नर चूहों में इनका प्रभाव लगभग पता नहीं चल पाया।

वोस्कुहल ने इसका कारण समझाते हुए कहा, “यह इस बात के अनुरूप है कि मादाओं में दो एक्स क्रोमोसोम के कारण ‘और भी अधिक अवरोध उत्पन्न’ होता है।”

“यही कारण है कि महिलाओं को पुरुषों की तुलना में मल्टीपल स्क्लेरोसिस और अल्जाइमर होने की आशंका अधिक होती है। मेटफॉर्मिन उपचार का असर महिलाओं पर पुरुषों के मुकाबले अलग होता है।”

–आईएएनएस

केआर/


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