जब 'मंकी किंग' ने साझा की जोधपुर की यादें…


बीजिंग, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। चीन के हेनान प्रांत के जियुआन शहर की हालिया यात्रा मेरे लिए बेहद खास रही। यहां आयोजित ‘मंकी किंग गैदरिंग’ ने न सिर्फ नया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड स्थापित किया, बल्कि मुझे उस किरदार को भी करीब से जानने का मौका दिया जो चीन की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, ‘सुन वुखोंग’। इस मौके पर मुझे अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अभिनेता और मार्शल आर्टिस्ट ज्यांग चिनलाई (लियू शियाओलिंगटोंग) से मिलने और बातचीत करने का अवसर भी मिला। वे न सिर्फ चीन बल्कि पूरी दुनिया में अपनी फिल्मों और करिश्माई अंदाज के लिए जाने जाते हैं। हमारी बातचीत का केंद्र था उनका मशहूर किरदार “सुन वुखोंग” (मंकी किंग/बंदर राजा) एक ऐसा पात्र जो चीनी साहित्य का नायक है और आज वैश्विक पहचान बना चुका है।

बातचीत के दौरान ज्यांग चिनलाई ने बताया कि सुन वुखोंग उनके लिए सिर्फ़ एक फिल्मी किरदार नहीं है, “मंकी किंग चीनी संस्कृति की आत्मा है। यह हमें साहस, विद्रोह और न्याय के लिए खड़े होने की प्रेरणा देता है।” ये अनुभव साझा करते हुए उनके चेहरे पर चमक और आवाज में दृढ़ता थी, जिससे यह साबित होता है कि मंकी किंग उनके दिल के बहुत करीब है।

उनके अनुसार, मंकी किंग का अभिनय करना आसान नहीं था। “कभी यह किरदार शरारती है, कभी गुस्सैल और कभी बेहद संवेदनशील। इसे जीने के लिए हर पल ऊर्जा और सजगता की ज़रूरत होती है।” “सुन वुखोंग में ऊर्जा और शरारत दोनों हैं। कभी वह विद्रोही लगता है, कभी मजाकिया, और कभी बेहद गहन। एक अभिनेता के लिए इन सभी रंगों को एक साथ जीना बड़ी चुनौती है।”

बातचीत के दौरान उन्होंने भारत की अपनी यादें भी साझा कीं। उन्होंने राजस्थान के जोधपुर का ज़िक्र करते हुए कहा, “वहां की तेज़ धूप और तपता हुआ मौसम शूटिंग को मुश्किल बना रहा था, लेकिन वहाँ के लोगों का अपनापन और राजसी किलों का वैभव सब थकान भुला देता था। आज भी वह अनुभव मेरी यादों में जिंदा है।”

उनकी बात सुनकर मुझे गर्व हुआ कि मेरे देश की धरती ने भी एक वैश्विक सितारे पर इतनी गहरी छाप छोड़ी है।

जब मैंने उनसे भारतीय दर्शकों के लिए एक संदेश देने को कहा, तो उन्होंने कहा, “भारत और चीन दोनों की जड़ें बहुत पुरानी सभ्यताओं में हैं। हमारी कहानियां, हमारे नायक और हमारे आदर्श हमें जोड़ते हैं। मैं चाहता हूं कि भारतीय दर्शक सुन वुखोंग को सिर्फ एक चीनी नायक न मानें, बल्कि उसे एक सार्वभौमिक प्रतीक की तरह देखें, जो साहस और स्वतंत्रता का संदेश देता है।”

ज्यांग चिनलाई से यह मुलाकात मेरे लिए दो महान सभ्यताओं के बीच पुल का अनुभव थी। ‘मंकी किंग’ से मिलने के बाद मैंने महसूस किया कि कहानियां सचमुच सीमाओं को पार कर जाती हैं, और शायद यही कला और संस्कृति की असली ताकत है: ‘लोगों को जोड़ना और दिलों को करीब लाना।’

(साभार- चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

–आईएएनएस

डीकेपी/


Show More
Back to top button