वेस्टर्न डाइट से बढ़ सकता है फेफड़े के कैंसर का खतरा : अध्ययन


नई दिल्ली, 14 मार्च (आईएएनएस)। एक अध्ययन में पाया गया है कि वेस्टर्न डाइट, जिसमें अक्सर नमक, चीनी और वसा की मात्रा अधिक होती है, फेफड़ों में कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।

पिछले कुछ शोधों ने खराब आहार के कारण लीवर तथा अग्न्याशय जैसे अंगों के कैंसर के बीच संबंध को दर्शाया है। इस प्रकार आहार के दीर्घकालिक प्रभाव का अच्छी तरह से अध्ययन किया गया है।

फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के उन्नत स्थानिक जैवअणु अनुसंधान केंद्र के एसोसिएट प्रोफेसर और निदेशक रेमन सन ने कहा, “फेफड़ों के कैंसर को पारंपरिक रूप से आहार से संबंधित बीमारी नहीं माना जाता है।”

उन्होंने कहा कि जब फेफड़ों के कैंसर की बात आती है, तो इस पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है कि आहार इसमें भूमिका निभा सकता है।

नेचर मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधककर्ताओं ने ग्लाइकोजन संचय पर ध्यान केंद्रित किया। जिसमें ग्लूकोज जो एक साधारण शर्करा से बना होता है। यह विभिन्न प्रकार के कैंसर और अन्य बीमारियों में उच्च स्तर पर जमा होता पाया गया है।

प्रयोगशाला मॉडल और फेफड़ों में ग्लाइकोजन भंडार के कंप्यूटर निर्देशित मॉडल के माध्यम से, शोधकर्ताओं ने दिखाया कि फेफड़ों के कैंसर में ग्लाइकोजन एक ऑन्कोजेनिक मेटाबोलाइट के रूप में कार्य करता है, जो “कैंसर के रोगियों के लिए एक व‍िशाल लॉलीपॉप” के समान है।

कैंसर कोशिकाओं में ग्लाइकोजन जितना अधिक होगा, ट्यूमर उतना ही बड़ा और खतरनाक होगा।

संक्षेप में, शोधकर्ताओं ने कहा कि, विशिष्ट वेस्टर्न डाइट ग्लाइकोजन के स्तर को बढ़ाता है और ग्लाइकोजन फेफड़ों के कैंसर के ट्यूमर के विकास के लिए पोषण प्रदान करता है।

सन ने धूम्रपान विरोधी अभियान की तरह ही स्वस्थ आहार विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए जन जागरूकता और नीति-संचालित रणनीतियों पर अधिक जोर देने का आह्वान किया।

टीम ने कहा, “पोषक तत्वों से भरपूर आहार को प्राथमिकता देना, सक्रिय जीवनशैली अपनाना और शराब का सेवन कम करना दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए आधारभूत रणनीतियां हैं।”

–आईएएनएस

डीकेएम/सीबीटी


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