बुंदेलखंड की जल सहेलियां : ग्रामीण इलाकों तक पहुंचा रहा है स्वच्छ जल

नई दिल्ली, 22 मार्च (आईएएनएस)। देश-दुनिया में विश्व जल दिवस-2025, शनिवार 22 मार्च को मनाया जा रहा है। वर्ष 1993 से हर साल 22 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व जल दिवस की थीम इस बार ‘ग्लेशियर संरक्षण’ रखी गई है। भारत में इस दिन की महत्ता को देखते हुए कई प्रेरक उदाहरण सामने आ रहे हैं। खास तौर पर बुंदेलखंड की जल सहेलियां जल संकट से जूझ रहे इस क्षेत्र में बदलाव की मिसाल बन रही हैं। ये महिलाएं जल संरक्षण का संदेश दे रही हैं और अपने संकल्प से पानी की समस्या को दूर करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। वहीं, केंद्र सरकार भी ‘जल जीवन मिशन’ के तहत ग्रामीण इलाकों में हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। अब तक 15 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों में स्वच्छ पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराई जा चुकी है।
बुंदेलखंड में जल संकट हर गर्मी में आम और सबसे जटिल समस्या थी, लेकिन केंद्र सरकार की जल जीवन मिशन और विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से आज ग्राम पंचायत की सरपंच और जलसखी ने इस समस्या को मध्यप्रदेश के दमोह जनपद में सैलवाड़ा ग्राम पंचायत से दूर कर दिया है। बुंदेलखंड के कंठ की प्यास बुझाने और लोगों को पानी की उपयोगिता व उसके संरक्षण के बारे में जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर वर्ष 2011 में जल सहेलियों का गठन किया गया था। ग्रामीण इलाकों में जल सहेलियों का उद्देश्य जल संरक्षण और पानी की उपलब्धता को बढ़ावा देना है।
इसी कड़ी में दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के अंतर्गत सैलवाड़ा ग्राम पंचायत में भी महिलाओं के रूप में जल सहेलियां बनाई गई, जो ग्रामीण समुदायों में पानी के प्रबंधन, संरक्षण और वितरण के बारे में जागरूकता फैलाने का कार्य करती हैं। ये जल सहेलियां ग्रामीणों को पानी के सही उपयोग के लिए जागरूक करती हैं। पुराने जलस्रोत में लोगों को बरसात का जल संचयन, तालाबों और जलाशयों की सफाई, और जल की बचत के तरीकों के बारे में बताती हैं। ये सहेलियां स्वच्छता मिशन को बढ़ावा, साफ पानी की उपलब्धता और स्वच्छता के महत्व को समझाती हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों में पानी से होने वाली बीमारियों को रोका जा सके। बुंदेलखंड में पानी के संकट को दूर करने में जुटी जल सहेलियों की कहानी प्रेरणादायक है।
मध्य प्रदेश के दमोह के ग्रामीण इलाकों में जल सहेलियां पानी के संकट को दूर करने में जुटी हुई हैं। दमोह के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के सैलवाड़ा ग्राम पंचायत की जल सहेलियों ने बताया कि वे ग्रामीणों के बीच जाकर उन्हें पानी के प्रबंधन, संरक्षण और बेहतर उपयोग के बारे में जागरूक करती हैं। साथ ही बारिश के जल को एकत्र करने, तालाबों और जलाशयों की सफाई और जल की बचत के तरीकों के बारे में बताती हैं। बुंदेलखंड ने पानी को लेकर क्या-क्या उपलब्धियां हासिल की, इस बारे में आईएएनएस ने जल सखी कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम पंचायत सरपंच से बातचीत की।
नीतू साहू, सरपंच, सैलवाड़ा ग्राम पंचायत, जिला-दमोह ने बताया, “जल सखी बनाने का मकसद पानी की बचत और भंडारण को लेकर जागरूकता फैलाना था। अब पाइप लाइन के बाद हमारे गांव में 80 प्रतिशत पानी सुचारू रूप से आ रहा है। पानी के महत्व और हमारे जीवन में अहम भूमिका के बारे में जल सखी ने समझाया है।”
आंगनवाड़ी सहायिका मीरा रजक ने बताया, “जल सहेली का गठन 2011 में घर-घर पानी पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया था। इसमें 20 महिलाओं को शामिल किया गया था। हम लोग घर-घर जाकर जल के बारे में जागरूकता देते थे। अब पानी को लेकर लोग जागरूक हो गए हैं और उनके पास पानी की उपलब्धता है।”
मुन्नी अहिरवार, निगरानी समिति प्रमुख (जलसखी मंडल) ने बताया, “हमारे यहां पहले पानी नहीं था। दूर-दूर तक घूमने के बाद पानी मिलता था। हम पानी को व्यर्थ बहने से रोकने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं।”
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संध्या रजक ने बताया कि 2011 में सखी सहेली जब शुरू हुआ था तब पानी की स्थिति खराब थी। दो किलोमीटर तक जाकर पानी मिलता था। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की वजह से घर-घर पर पानी मिलने लगा है।”
सैलवाड़ा निवासी कविता पटेल ने बताया कि हमने 2011 में सखी सहेली समूह बनाया था, उसमें हम लोगों ने काफी प्रयास किया। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने समूह बनाकर प्रयास किया और सड़कों व नालियों में पानी को व्यर्थ बहने से रोकने पर जागरूकता अभियान चलाया। सूखे कुओं, तालाबों, जलाशयों को साफ कराया गया।
वहीं, साईपुरा गांव की निवासी रीना राय ने बताया, “पहले हमारे यहां पानी की बहुत समस्या थी। लेकिन सखी सहेली योजना के तहत पानी को लेकर जागरूकता फैलाई गई। पानी की बचत की जा रही है। कुएं, तालाब आदि की सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है।”
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार देशवासियों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्धता से जुटी हुई है। इसी दिशा में पीएम मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की शुरुआत की थी और भारत के ग्रामीण इलाकों के हर घर में नल से जल पहुंचाने का संकल्प लिया था। जल जीवन मिशन के तहत अब तक 15.44 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है, जो कि भारत में सभी ग्रामीण घरों का लगभग 80 प्रतिशत है।
–आईएएनएस
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