विक्रमादित्य मोटवानी को पसंद है फिल्मों में एक्सपेरिमेंट करना, आईएएनएस से बातचीत में किया खुलासा

विक्रमादित्य मोटवानी को पसंद है फिल्मों में एक्सपेरिमेंट करना, आईएएनएस से बातचीत में किया खुलासा

मुंबई, 7 अक्टूबर (आईएएनएस)। मशहूर फिल्ममेकर विक्रमादित्य मोटवानी ने ‘उड़ान’, ‘लुटेरा’ और ‘भावेश जोशी सुपरहीरो’ जैसी शानदार फिल्मों का निर्देशन किया है। अनन्या पांडे के साथ उनकी नई फिल्म ‘सीटीआरएल’ नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है। इस फिल्म की कहानी एआई, सोशल मीडिया के इर्द गिर्द घूमती है।

‘सीटीआरएल’ की कहानी काफी मनोरंजक है, जो आज के युग की सच्चाई को सामने लाती है। ऐसा लगता है कि जैसे यह वास्तविक समय में हो रहा है। ऐसा ही कुछ दर्शकों ने ‘एके वर्सेस एके’ में भी देखा था।

विक्रमादित्य मोटवानी के लिए ऐसी मनोरंजक कहानियां बहुत ही आकर्षक होती हैं। वह ना केवल अपनी क्रिएटिविटी को बहुत ही खूबसूरती के साथ कैमरे में कैद करते हैं, बल्कि अपनी सिग्नेचर फिल्मोग्राफी में इसे गहराई के साथ जोड़ते हैं।

मोटवानी ने आईएएनएस से खास बातचीत में कहा, “मुझे इस तरह की चीजों का एक्सपेरिमेंट करना पसंद है, यह मेरे लिए वैसा ही है, जैसे मुझे लगता है कि इस तरह की चीजों के साथ मौज-मस्ती करना बहुत अच्छा है। जब आपको मनोरंजन करने की इजाजत दी जाती है, तो कलाकृति या अंतिम आउटपुट शानदार होता है। मुझे लगता है कि यही वह मंच है, जहां नेटफ्लिक्स जैसा प्लेटफॉर्म एक ताकत के रूप में सामने आता है।”

उन्होंने बताया, “एक मजबूत फिल्म और एक महान कहानी बताने के किए आपको एक अभिनेता चाहिए, जो आपके अनुरूप काम को ढाल सकें। मुझे लगता है कि ‘एके’ और ‘सीटीआरएल’ दोनों के मामले में ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि आप जानते हैं कि दोनों ही इच्छुक थे। तब मुझे अनिल कपूर और अनुराग कश्यप मिले तो मैंने कहा, क्यों नहीं? और मुझे लगता है कि जब कलाकार आपके साथ इस यात्रा पर जाते हैं, तो यह आपको थोड़ा आत्मविश्वास भी देता है। मुझे लगता है कि दोनों ही ऐसी फिल्में हैं, जिनसे मुझे प्रयोग की कला में उत्कृष्टता हासिल करने में मदद मिली है।”

उन्होंने आईएएनएस को बताया, “मैंने उस सिस्टम में काम किया है, जहां हम वास्तव में 35 एमएम पर एक फिल्म शूट करते थे। हम वास्तव में फिल्म में कटिंग और स्प्लिसिंग का इस्तेमाल करते थे और इसे एक साथ रखते थे।”

उन्होंने कहा, “आज एक फिल्म का 80 फीसद हिस्सा आईफोन पर शूट किया जा सकता है। कला और कलाकारों को प्रासंगिक बने रहने के लिए बदलते समय के साथ चलना आवश्यक है।”

–आईएएनएस

एफएम/सीबीटी

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