नोएडा : साइबर पुलिस की सतर्कता रंग लाई, सात पीड़ितों को करोड़ों के नुकसान से बचाया गया


नोएडा, 5 नवंबर (आईएएनएस)। गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नरेट की साइबर क्राइम यूनिट ने एक बेहद सटीक, तेज और इंटेलिजेंस-आधारित कार्रवाई को अंजाम देते हुए ऑनलाइन निवेश ठगी में फंसे देशभर के 7 ‘लाइव पीड़ितों’ को लाखों नहीं, बल्कि संभावित करोड़ों के आर्थिक नुकसान से बचा लिया।

पुलिस ने इन पीड़ितों को समय रहते खोजा, संपर्क किया और उन्हें चल रहे फ्रॉड के बारे में अवगत कराया, जिसके बाद इन लोगों ने आगे की रकम भेजना रोक दिया। यह कार्रवाई पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह के निर्देश पर की गई, जिसमें साइबर कमांडो सचिन धामा के नेतृत्व में विशेष टीम का गठन किया गया था। टीम ने इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से प्राप्त साइबर एवं वित्तीय इंटेलिजेंस का उपयोग कर संदिग्ध लेनदेन के नेटवर्क और पैटर्न का गहराई से विश्लेषण किया।

इसी विश्लेषण के आधार पर पुलिस को पता चला कि कुछ लोग लगातार ऑनलाइन निवेश योजनाओं में बड़ी रकम जमा करा रहे हैं और इनके खाते एक सक्रिय फ्रॉड नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं। टीम ने रिपोर्टेड मामलों की वित्तीय प्रवाह से जुड़ी जानकारी का अध्ययन किया और डेटा एनालिटिक्स की सहायता से देश के विभिन्न राज्यों, तमिलनाडु, गुजरात, तेलंगाना, ओडिशा और राजस्थान, में रह रहे 7 ऐसे नागरिकों की पहचान की, जो महीनों से निवेश धोखाधड़ी का शिकार हो रहे थे।

ठग सोशल मीडिया, स्टॉक मार्केट सलाह और “उच्च रिटर्न” के झांसे देकर पैसे निवेश कराने में सफल हो गए थे। कई पीड़ितों को यह पता तक नहीं था कि उनका पैसा गलत हाथों में जा रहा है। ऐसे में पुलिस ने इंतजार नहीं किया कि वे खुद शिकायत दर्ज कराएं, बल्कि सीधे उनसे संपर्क कर उन्हें पूरी सच्चाई बताई। चेतावनी मिलते ही सभी पीड़ितों ने आगे की ट्रांजैक्शन रोक दी, जिससे लाखों-करोड़ों की रकम सुरक्षित बचाई जा सकी और एक सक्रिय फ्रॉड चेन बीच में ही टूट गई।

साइबर यूनिट अब पीड़ितों से मिले इनपुट के आधार पर बैंक खातों को फ्रीज करा रही है और फ्रॉड रैकेट से जुड़े आरोपियों पर विधिक कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है। गौतमबुद्धनगर पुलिस की यह पहल बताती है कि साइबर इंटेलिजेंस, फाइनेंशियल ट्रैकिंग और डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से ठगी को केवल पकड़ा ही नहीं, बल्कि समय रहते रोका भी जा सकता है।

यह देशभर की साइबर सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक मिसाल है कि सक्रियता और इंटेलिजेंस के समन्वय से नागरिकों को बड़े पैमाने पर आर्थिक नुकसान से सुरक्षित किया जा सकता है।

–आईएएनएस

पीकेटी/एबीएम


Show More
Back to top button