उपराष्ट्रपति ने नल्लाकन्नू के 101वें जन्मदिन पर दी बधाई, वीर बाल दिवस पर साहिबजादों को दी श्रद्धांजलि

नई दिल्ली, 26 दिसंबर (आईएएनएस)। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार को भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के वरिष्ठ नेता आर. नल्लाकन्नू के 101वें जन्मदिन पर हार्दिक बधाई दी। साथ ही उन्होंने वीर बाल दिवस के अवसर पर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
नल्लाकन्नू तमिलनाडु के कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता हैं, स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय योद्धा रहे, और मजदूरों और किसानों के अधिकारों के लिए अथक संघर्ष किया।
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करके लिखा, “आजादी की लड़ाई में स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर और मजदूरों के अधिकारों के लिए एक अथक योद्धा के तौर पर चमकने वाले और भारतीय कम्युनिस्ट आंदोलन के सबसे महान नेता के रूप में पहचाने जाने वाले नल्लाकन्नू के 101वें जन्मदिन के अवसर पर, मैं उन्हें दिल से बधाई देता हूं।”
उन्होंने आगे कहा कि नल्लाकन्नू ने उनके संसदीय चुनाव जीतने के दौरान यह भावना जगाई कि सभी जीत खुशी के लायक नहीं होती। उन्होंने सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और सादगी को मार्गदर्शक बनाकर जीने वाले इस महान नेता को अच्छे स्वास्थ्य और संतोषजनक जीवन की शुभकामनाएं दीं।
एक अन्य पोस्ट में वीर बाल दिवस पर उपराष्ट्रपति ने लिखा, “वीर बाल दिवस पर, हम गुरु गोबिंद सिंह के साहिबजादों के सर्वोच्च साहस और बलिदान को विनम्र श्रद्धांजलि देते हैं, जिनका अटूट विश्वास और बहादुरी देश को लगातार प्रेरित करती है।”
उन्होंने आगे लिखा, “इतनी कम उम्र में सत्य, धर्म और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता नैतिक शक्ति और नि:स्वार्थ भक्ति का एक शाश्वत उदाहरण है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को साहस, करुणा और एकता बनाए रखने के लिए मार्गदर्शन दे।”
बता दें कि वीर बाल दिवस की शुरुआत भारत सरकार ने वर्ष 2022 में की। 9 जनवरी 2022 को श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि 26 दिसंबर को गुरु गोबिंद सिंह जी के साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत की स्मृति में हर साल वीर बाल दिवस मनाया जाएगा।
यह दिन उनके अदम्य साहस, धर्म और सत्य के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को सम्मानित करने के लिए शुरू किया गया, जो मुगल अत्याचारों के बावजूद 6-9 वर्ष की छोटी उम्र में जिंदा दीवार में चुनवाए गए थे।
–आईएएनएस
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