नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में वेंचर डेट बाजार लगातार बढ़ रहा है। यह जानकारी गुरुवार को एक रिपोर्ट में सामने आई।
वैश्विक निवेश संस्थान लाइटहाउस कैंटन की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय संस्थापक फंडिंग गैप को कम करने और अधिक इक्विटी डायल्यूशन से बचने के लिए तेजी से वेंचर डेट की ओर रुख कर रहे हैं।
यह बदलाव मुख्य रूप से बाजार में इक्विटी फंडिंग की कमी और विकास के लिए आवश्यक पूंजी तक पहुंच बनाते हुए स्वामित्व को बनाए रखने की इच्छा को दर्शाता है।
रिपोर्ट ने संकेत दिया कि संस्थापकों द्वारा पारंपरिक ऋण और इक्विटी के मुकाबले वेंचर डेट को प्राथमिकता देने का मुख्य कारण इसकी कम कमजोर प्रकृति है। इसमें रिपेमेंट शेड्यूल फ्लेक्सिबिलिटी की सुविधा भी मिलती है।
यह वरीयता वेंचर डेट द्वारा खास कर तेजी से विकसित हो रही इंडस्ट्री में प्रदान किए जाने वाले रणनीतिक लाभों के महत्व को दिखाती है।
लाइटहाउस कैंटन में एसेट मैनेजमेंट के ग्लोबल हेड, मैनेजिंग डायरेक्टर, संकेत सिन्हा ने कहा, “भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में अपार संभावनाएं हैं और वेंचर डेट फंडिंग की वृद्धि इसके विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।”
उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि फंडिंग का यह तरीका इनोवेशन को बढ़ावा देने और स्टार्टअप को सशक्त बनाने के लिए आवश्यक होगा, जो देश के गतिशील और विकसित होते कारोबारी परिदृश्य में सतत विकास को बढ़ावा देगा।”
भारत का फिनटेक सेक्टर, जो अब वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा है, वेंचर डेट को अपनाने के लिए एक प्रमुख चालक बना हुआ है।
यूपीआई जैसे इनोवेशन ने भारत के फिनटेक बाजार को आगे बढ़ाया है, जिसमें वेंचर डेट ने फिनटेक स्टार्टअप को नकदी प्रवाह का प्रबंधन करने, आगे उधार देने का समर्थन करने और उनके विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र अपने विकास को आगे बढ़ाने के लिए वेंचर डेट पर भी बहुत अधिक निर्भर हो गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 67 प्रतिशत ईवी स्टार्टअप अपने आधे से अधिक डेट फंडिंग के लिए वेंचर डेट पर निर्भर हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है, “बैंक जैसे पारंपरिक ऋणदाता अक्सर ईवी क्षेत्र को उच्च जोखिम वाला मानते हैं, ऐसे में वेंचर डेट एक महत्वपूर्ण विकल्प बन जाता है।”
–आईएएनएस
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