पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अमेरिकी NSA की बैठक

पीएम मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अमेरिकी NSA की बैठक

तीसरी बार पीएम नरेन्द्र मोदी के कार्यकाल के शुरूआत होते ही भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने का काम भी शुरु हो गया है। इस क्रम में सोमवार को दोनों देशों के बीच यह फैसला हुआ कि कारोबार, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष सेक्टर में सहयोग को प्रगाढ़ करने की दिशा मे जो जो समस्याएं आ रही हैं उन्हें दूर करने के लिए शीघ्र ही दोनों तरफ से फैसले किये जाएंगे।

17 जून, 2024 को नई दिल्ली में अमेरिकी एनएसए जैक सुलावैन और भारत के एनएसए अजीत डोभाल की अध्यक्षता में क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलोजी (आईसीईटी) पर गठित समिति की हुई बैठक में फैसला हुआ। इस समिति का गठन वर्ष 2022 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति जो बाइडन ने संयुक्त तौर पर की थी। यह सिर्फ दूसरी बैठक थी लेकिन रक्षा से लेकर संचार तक और अंतरिक्ष से लेकर सेमीकंडक्टर तक जैसे व्यापक क्षेत्रों के लिए इसमें जो लक्ष्य तय किये गये हैं, वह दोनो देशों की गंभीरता को बताता है।

अमेरिकी एनएसए ने देर शाम पीएम नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की। इस बैठक के बारे में पीएम मोदी ने लिखा है कि, “भारत अमेरिका के साथ समग्र वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने को लेकर प्रतिबद्ध है।” इसके पहले सुलीवैन और विदेश मंत्री एस जयशंकर की अगुवाई में भी एक अलग से बैठक हुई जिसमें प्रमुख तौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति, कूटनीतिक व रणनीतिक चुनौतियों व क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विमर्श हुआ है।

दोनों देशों ने कहा है कि, “हम इस तथ्य को साझा करते हैं कि प्रौद्योगिकी की डिजाइन व निर्माण इस तरह के किया जाना चाहिए कि हम लोकतांत्रिक मूल्यों व मानवाधिकारों की रक्षा की बात भी करें और साथ ही भविष्य में हिंद-प्रशांत क्षेत्र को सुरक्षित बनाने और संपन्नता लाने के लिए भारत-अमेरिकी रणनीतिक सहयोग को मजूबत करे।”

कहने की जरूरत नहीं कि इस बयान से चीन की तरफ इशारा किया गया है। डोभाल और सुलावैन ने दोनों देशों के निजी उद्यमियों के साथ भी एक बैठक की है ताकि प्रौद्योगिकी के विकास व इस्तेमाल की जो बातें हो रही हैं उनमें वो एक अहम साझेदार के तौर पर शामिल हों। दूरसंचार, स्वचालित वाहन और मशीन लर्निंग में साझा सहयोग के लिए भारत और अमेरिका ने 50 लाख डॉलर का एक साझा फंड बनाने का भी फैसला किया है।

नासा और इसरो ने मिल कर एक सिंथेटिक एपार्चर सैटेलाइट बनाने का फैसला किया है जो पूरी धरती का हर 12 दिनों में चक्कर लगाएगा। इससे मौसम की ज्यादा पुख्ता जानकारी मिलेगी। साथ मिल कर युद्धक टैंक बनाने की पूर्व मे की गई घोषणा की समीक्षा की गई है। भारत में युद्धक विमानों का ईंजन बनाने को लेकर पूर्व में जीई एयरोस्पेस और एचएएल के बीच किये गये करार की प्रगति की भी समीक्षा की गई है। संचार क्षेत्र में 5जी और 6जी सेवाओं को ज्यादा सुरक्षित बनाने और भरोसेमंद संचार आधारित उपकरणों के निर्माण में सहयोग को तेजी से आगे बढ़ाने का भी फैसला हुआ है।

E-Magazine