संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर उच्च-स्तरीय बैठक की

बीजिंग, 24 सितंबर (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने अल्जीरिया, गुयाना, पाकिस्तान, सिएरा लियोन और सोमालिया की पहल पर फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर एक उच्च-स्तरीय बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में चीन ने गाजा में तत्काल त्रासदी को समाप्त करने, पश्चिमी तट में तनाव कम करने और फ़िलिस्तीनियों के ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने पर ज़ोर दिया, ताकि मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता बनी रहे।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष अपने सबसे बुरे दौर में पहुंच गया है, गाजा में मानवीय संकट गंभीर है, और नागरिकों को भारी पीड़ा उठानी पड़ रही है। उन्होंने तत्काल युद्ध विराम और मानवीय सहायता पहुंचाने की मांग की। गुटेरेस ने बताया कि दो-राज्य समाधान के सामने कई चुनौतियां हैं, खासकर बस्तियों के विस्तार और अवैध कब्जे से स्थिति और बिगड़ रही है। उन्होंने सभी पक्षों से फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना को बढ़ावा देने का आह्वान किया और ज़ोर दिया कि शांति अंतर्राष्ट्रीय क़ानून पर आधारित होनी चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र में चीन के उप-स्थायी प्रतिनिधि कंग शुआंग ने इज़रायल से गाज़ा में सभी सैन्य अभियानों को तुरंत रोकने और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत एक क़ब्ज़ाकारी शक्ति के रूप में अपने दायित्वों को पूरा करने का आग्रह किया। उन्होंने मानवीय पहुँच को पूरी तरह से बहाल करने के साथ-साथ पश्चिमी तट में बस्तियों की गतिविधियों और उन पर होने वाली हिंसा को रोकने की मांग की।
कंग शुआंग ने यह भी कहा कि मध्य पूर्व एक बार फिर ऐतिहासिक मोड़ पर है- शांति या युद्ध, यह एक ऐसा विकल्प है जिसे क्षेत्रीय देशों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को मिलकर चुनना होगा। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि चीन फ़िलिस्तीनी मुद्दे पर हमेशा
निष्पक्षता और न्याय के पक्ष में खड़ा है और फिलिस्तीनी लोगों के न्यायोचित मुद्दे का दृढ़ता से समर्थन करता है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक मंसूर ने कहा कि फ़िलिस्तीनी राज्य को मान्यता देना फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का समर्थन है। यह कोई उपहार नहीं, बल्कि एक वैध अधिकार है। उन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनियों को हमेशा के लिए कब्जे में रहने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए, ठीक उसी तरह जैसे इजराइल को भी निरंतर युद्ध में नहीं रहना चाहिए।
(साभार—चाइना मीडिया ग्रुप ,पेइचिंग)
–आईएएनएस
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