दिल्ली: सीएससी के 16वें स्थापना दिवस का जश्न, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह करेंगे कार्यक्रम का उद्घाटन

नई दिल्ली, 15 जुलाई (आईएएनएस)। केंद्र सरकार के ‘डिजिटल इंडिया’ की अग्रणी पहल कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के 16वें स्थापना दिवस पर दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 16 जुलाई को आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन करेंगे। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी इस अवसर पर उपस्थित रहेंगे।
इस कार्यक्रम का आयोजन द्वारका स्थित यशोभूमि कन्वेंशन सेंटर में होगा। साल 2006 में शुरू होने के बाद सीएससी पिछले 16 वर्षों में दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल सेवा वितरण नेटवर्क में से एक बन गया है, जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 6.5 लाख से अधिक केंद्रों के माध्यम से संचालित हो रहा है।
बुधवार को आयोजित कार्यक्रम सीएससी के भविष्य की कार्ययोजना का अनावरण है, जिसमें सेवा विस्तार, तकनीकी नवाचार और डिजिटल रूप से सक्षम आजीविकाओं पर ध्यान केंद्रित होगा। इस नए चरण में एआई-आधारित सेवाओं, क्लाउड समाधानों और डिजिटल रूप से सक्षम आजीविकाओं का एकीकरण शामिल होगा, जिसका उद्देश्य सीएससी को ग्रामीण नवाचार और आत्मनिर्भर भारत के केंद्र के रूप में विकसित करना है।
राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर कई समारोहों का आयोजन किया जाएगा, जिनमें वरिष्ठ अधिकारी, नीति निर्माता, उद्योग भागीदार और हजारों वीएलई भाग लेंगे। इस समारोह में उत्कृष्ट ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई) और सामुदायिक नेताओं को उनके योगदान के लिए सम्मानित किया जाएगा। यह उनकी सामाजिक उद्यमिता और सेवा भावना के प्रति सम्मान के रूप में कार्य करेगा।
सीएससी के इस कार्यक्रम के लिए हितधारकों, नागरिकों और मीडिया के सदस्यों को आमंत्रित किया गया है।
सार्वजनिक-निजी भागीदारी के एक आदर्श के रूप में सीएससी डिजिटल शासन, नागरिक-केंद्रित वितरण और सामुदायिक परिवर्तन की आधारशिला बना है। सीएससी का 16वां स्थापना दिवस डिजिटल माध्यमों से समावेशी विकास सुनिश्चित करने के सरकार के मिशन की दोबारा पुष्टि है।
सीएससी की पहुंच को और मजबूत करने के लिए साल 2022 में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया, जब सहकारिता मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सीएससी ने नाबार्ड और सहकारिता मंत्रालय के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत सहकारी ऋण समितियों को सीएससी के रूप में कार्य करने की मंजूरी मिली।
इसके अंतर्गत देशभर की प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पीएसीएस) और लैम्प्स को सीएससी आईडी प्रदान की गईं और उन्हें डिजिटल सेवाओं के लिए प्रशिक्षित किया गया। इस सहयोग के माध्यम से लाखों ग्रामीण परिवारों को डिजिटल और वित्तीय सेवाओं से जोड़ा गया है।
इस सहयोग का उद्देश्य ग्रामीण समुदायों के एक बड़े वर्ग को सशक्त बनाना और पैक्स (पीएसीएस) को वित्तीय रूप से सशक्त बनाना है। औसतन हर समिति में लगभग 500 सदस्य होते हैं। यदि कोई समुदाय अच्छी प्रगति करता है, तो लाभ सबसे पहले इन 500 व्यक्तियों या परिवारों तक पहुंचता है। इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है, नेटवर्क का विस्तार होता है, और सीएससी सेवाओं के लिए पंजीकरणों की संख्या में वृद्धि होती है।
2006 में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के तहत स्थापित सीएससी एसपीवी का लक्ष्य अंतिम छोर तक डिजिटल सेवाएं पहुंचाना और पूरे देश में एक सशक्त आईसीटी-आधारित नेटवर्क बनाना था।
हर सीएससी का संचालन एक स्थानीय वीएलई करता है, जो सरकार और नागरिकों के बीच डिजिटल और सेवा सेतु का भी काम करता है। ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) आधार, पैन कार्ड, बैंकिंग, बीमा, टेलीमेडिसिन, टेली-लॉ, डिजिटल साक्षरता, छात्रवृत्ति और बिल भुगतान जैसी अनेक सेवाओं को नागरिकों तक पहुंचाने में जुटे हैं।
सीएससी ने ग्रामीण भारत में नागरिकों, खासकर महिलाओं, किसानों और वंचित समुदायों को उनके घर-द्वार पर डिजिटल पहुंच, वित्तीय समावेशन, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका सहायता प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सीएससी की पारिस्थितिकी में डिजिटल शिक्षा के लिए सीएससी अकादमी, ग्रामीण ई-कॉमर्स के लिए सीएससी ई-स्टोर और महिलाओं, किसानों तथा स्वयं सहायता समूहों को सहयोग देने के लिए विशिष्ट कार्यक्रम शामिल हैं। इन पहलों के जरिए सीएससी, डिजिटल भारत के सपने को धरातल पर साकार करने की दिशा में निरंतर अग्रसर है।
–आईएएनएस
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