यूएनजीए ने अमेरिकी वीटो को दरकिनार कर फिलिस्तीन की सदस्यता को विशेष दर्जा देने के लिए वोट किया (लीड-1)

यूएनजीए ने अमेरिकी वीटो को दरकिनार कर फिलिस्तीन की सदस्यता को विशेष दर्जा देने के लिए वोट किया (लीड-1)

संयुक्त राष्ट्र, 10 मई (आईएएनएस)। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने शुक्रवार को विश्‍व निकाय में फिलिस्तीन की सदस्यता को विशेष दर्जा देने के लिए मतदान किया, जिसका उद्देश्य पूर्ण सदस्यता पर अमेरिकी वीटो को रोकना था।

गाजा पर इजरायल के हमले और युद्धविराम की लड़खड़ाती कोशिशों के साये में ऐतिहासिक प्रस्ताव को भारत, फ्रांस, चीन, रूस और जापान सहित 143 वोटों के साथ अपनाया गया, जबकि अमेरिका और इजरायल सहित 9 विपक्ष में थे। पिछले महीने सुरक्षा परिषद में पूर्ण सदस्यता के लिए फिलिस्तीन की बोली के एकमात्र अमेरिकी वीटो को खारिज करते हुए यूके, कनाडा और कई यूरोपीय सदस्यों सहित 25 सदस्य गैरहाजिर रहे।

अमेरिका और इजरायल के अलावा हंगरी, चेकिया, अर्जेंटीना, माइक्रोनेशिया, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी और नाउरू ने इसका विरोध किया।

फिलिस्तीन के स्थायी पर्यवेक्षक रियाद मंसूर ने मतदान से पहले कहा कि इसका समर्थन करना “शांति में निवेश” और “सही काम” है।

एक पर्यवेक्षक देश बने रहने के दौरान फिलिस्तीन को महासभा के कार्यालयों में चुने जाने, अन्य पर्यवेक्षकों के साथ पीछे रहने के बजाय नियमित सदस्य देशों के बीच बैठने, सभी मामलों पर बोलने, प्रस्ताव बनाने और निकाय के समक्ष मामलों में संशोधन पेश करने का अधिकार मिलता है और विभिन्न प्रक्रियात्मक मामलों में भाग लेते हैं।

लेकिन इसकी विशेष सदस्यता इसे विधानसभा में मतदान करने या संयुक्त राष्ट्र के अन्य निकायों में सदस्यता लेने की अनुमति नहीं देगी।

सुरक्षा परिषद को पूर्ण सदस्यता के विपरीत, विशेष दर्जे को मंजूरी नहीं देनी होगी, जिस पर अमेरिका ने वीटो कर दिया है।

अल्जीरिया द्वारा प्रस्तावित और बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव द्वारा सह-प्रायोजित प्रस्ताव में परिषद से पूर्ण सदस्यता के लिए फिलिस्तीन के अनुरोध पर पुनर्विचार करने के लिए भी कहा गया।

अमेरिकी उप स्थायी प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने चेतावनी दी कि इसे वीटो कर दिया जाएगा।

राजनयिकों के बीच व्यापक विचार-विमर्श के बाद अपनाया गया यह प्रस्ताव उस अमेरिकी कानून को दरकिनार कर देता है, जिसके तहत पूर्ण सदस्यता देने पर संयुक्त राष्ट्र में उसका योगदान स्वतः ही बंद हो जाता। यह संगठन को पंगु बना देगा, क्योंकि वाशिंगटन संयुक्त राष्ट्र के नियमित बजट का 22 फीसदी और शांति स्थापना बजट का 27 फीसदी योगदान देने वाला सबसे बड़ा योगदानकर्ता है।

–आईएएनएस

एसजीके/

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