नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। मधुमेह यानी डायबिटीज को समय रहते यदि काबू में न किया जाए तो यह आंखों और मस्तिष्क को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। यह जानकारी गुरुवार को विशेषज्ञों ने एक अध्ययन के आधार पर दी।
द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन में विशेषज्ञों की तरफ से बताया गया है कि 2022 में भारत में लगभग 212 मिलियन लोग डायबिटिज (मधुमेह) से पीड़ित थे। यह आंकड़ा दुनिया में सबसे ज्यादा है।
मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें इंसुलिन हार्मोन की कमी के कारण रक्त में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है।
मधुमेह के रोगियों के रक्त में अनियंत्रित शर्करा की मात्रा के कारण उनके अनेक अंगों में समस्याएं उत्पन्न होना शुरू हो जाती हैं।
सर गंगा राम अस्पताल एवं दिल्ली आई सेंटर के वरिष्ठ कॉर्निया, मोतियाबिंद एवं रिफ्रैक्टरी सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. इकेदा लाल ने आईएएनएस को इस विषय पर बताया, “अनियंत्रित मधुमेह आंखों पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है, जिससे डायबिटिक रेटिनोपैथी जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।”
इस स्थिति में प्रायः शुरुआत में कोई लक्षण नहीं दिखते, जिससे इस बीमारी से ग्रसित लोगों में नियमित जांच अत्यंत आवश्यक हो जाती है।
लाल ने आगे कहा, “हाई ब्लड शुगर लेवल रेटिना की नाजुक रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है, जिसका इलाज न किए जाने पर हमारी देखने की क्षमता को नुकसान होता है। इस बीमारी का समय पर पता लगाना बहुत जरूरी है। नियमित नेत्र परीक्षण से सूक्ष्म परिवर्तनों को बढ़ने से पहले ही पकड़ा जा सकता है।”
मधुमेह रोग के नियंत्रण और आंख की रोशनी की सुरक्षा एक साथ चलते हैं, जिससे लंबे समय तक आंखों को बचाया जा सकता है।
समय पर नियंत्रण कर लेने से रोगियों को अपनी दृष्टि और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा, अनियंत्रित मधुमेह रोगियों में विभिन्न न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को भी जन्म देता है।
एस्टर आरवी अस्पताल में न्यूरोलॉजी की वरिष्ठ सलाहकार डॉ. सौम्या एम ने आईएएनएस को बताया, “मधुमेह से पीड़ित शख्स में मस्तिष्क संबंधी दिक्कतें स्ट्रोक, डिमेंशिया (स्मृति में गड़बड़ी, दैनिक जीवन की गतिविधियों को करने की क्षमता में कमी ), अनियंत्रित रक्त शर्करा के कारण प्रतिरक्षा में कमी के कारण संक्रमण या फिर मिर्गी के दौरों के रूप में दिखती हैं।”
विशेषज्ञ की मानें तो रक्त शर्करा को नियंत्रण में रखने के उपाय करके इन सभी बीमारियों को रोका जा सकता है।
गुरुवार को दक्षिण पूर्व एशिया के लिए डब्ल्यूएचओ की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा, “उपचार न की गई और अनियंत्रित मधुमेह के परिणामों में दिल का दौरा, स्ट्रोक, गुर्दे के फेल होने, अंधापन और एम्प्यूटेशन (अंग-विच्छेदन) भी शामिल हैं।”
वाजेद ने आगे कहा, “ये जटिलताएं न केवल व्यक्तियों और परिवारों पर भावनात्मक और वित्तीय बोझ डालती हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर भी महत्वपूर्ण वित्तीय दबाव डालती हैं।” उन्होंने सभी देशों से मधुमेह रोगियों की संख्या को बढ़ने से रोकने के लिए सामूहिक रूप से काम करने का आग्रह किया।
–आईएएनएस
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