नई दिल्ली, 27 जनवरी (आईएएनएस)। उत्तराखंड में सोमवार को यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू कर दिया गया है। यूसीसी के लागू होने के बाद राज्य में सभी नागरिकों के लिए व्यक्तिगत और पारिवारिक मामलों में समान नियम लागू होंगे। सरकार के इस ऐतिहासिक कदम के बाद यूसीसी नियमों और संकाय समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह ने आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने इस पर विस्तार से बात की और कई अहम सवालों के जवाब दिए।
शत्रुघ्न सिंह की अगुवाई में ही उत्तराखंड यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार किया गया। वह इस समिति के अध्यक्ष थे और उन्होंने सरकार को 400 पन्नों की नियमावली सौंपी थी। जिसने अब कानून का रूप ले लिया है।
ऐसे में उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने पर शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि हम लोग इस पर काम कर रहे थे और अब उत्तराखंड संविधान के तहत सबसे पहला राज्य बना है, जिसने यूसीसी को लागू किया। हालांकि, गोवा में पहले से यूसीसी लागू है, लेकिन संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत जो अपेक्षाएं थीं, उन्हें पूरा करने वाला राज्य उत्तराखंड ही बना। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो गहन अध्ययन और बहस के बाद लिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में भी यूसीसी लागू करने की बात की गई थी। अब जब इसे लागू किया जा रहा है, तो इसका विरोध करने वाले लोग ही बताएंगे कि इसमें क्या गलत है।
यूसीसी की चुनौतियों को लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया मुश्किल और संवेदनशील थी, क्योंकि इसमें सभी समुदायों से संवाद करना पड़ा। प्रदेश में समिति के सदस्य गए और लोगों से विचार-विमर्श किया। इसके अलावा, परंपरागत कानूनों का अध्ययन करना और उन्हें एक सूत्र में पिरोने के लिए कठिन मेहनत करनी पड़ी। तीन साल से अधिक समय तक इस पर काम चला और अब इसे लागू किया गया है।
क्या उत्तराखंड की डेमोग्राफी को देखते हुए यह प्रक्रिया अन्य राज्यों की तुलना में सरल थी, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की डेमोग्राफी देश की विविधता का एक छोटा रूप है, जिसमें मुस्लिम, ईसाई, सिख और अन्य समुदायों का प्रतिनिधित्व है। हालांकि, प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अलग परंपराएं हैं, लेकिन यूसीसी की मूल भावना सभी राज्यों में समान रहेगी। उत्तराखंड की डेमोग्राफी आसान नहीं है, क्योंकि यहां भी विभिन्न समुदायों के लोग रहते हैं। लेकिन, जिस तरह से यहां मूल मुद्दे सही ढंग से निपटाए गए, यह प्रक्रिया अन्य राज्यों के लिए भी मार्गदर्शन करने वाली बनेगी।
यूसीसी के तहत व्यक्तिगत कानूनों को लेकर उठे विवाद के बाद क्या कोई बदलाव किया गया। इस पर शत्रुघ्न सिंह ने कहा कि कुछ भ्रांतियां थीं कि व्यक्तिगत कानूनों को हटाया गया है, लेकिन, ऐसा नहीं है।
दरअसल, समिति ने जो ड्राफ्ट तैयार किया था, उसमें विवाह, तलाक और मेंटेनेंस जैसे मामलों के लिए विशेष प्रावधान थे, जिनमें कोर्ट को लेकर स्थिति स्पष्ट की गई थी कि किस तरह से प्रक्रिया पूरी की जाएगी। हालांकि, कुछ मामलों में राज्य सरकार ने इसे संशोधित किया है।
उत्तराखंड यूसीसी को आधार बनाकर अन्य राज्य भी इसे लागू करेंगे, इसको लेकर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह कहना कठिन है, लेकिन उत्तराखंड ने एक टेम्पलेट तैयार किया है। अन्य राज्य इससे सीख सकते हैं और अपने राज्य की परिस्थितियों के हिसाब से इसमें संशोधन कर सकते हैं।
शत्रुघ्न सिंह ने आगे कहा कि यूसीसी का पालन नहीं करने वालों के लिए दंड का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि जो लोग यूसीसी के नियमों का पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। उदाहरण के लिए, अगर कोई व्यक्ति शादी या लिव-इन रिलेशनशिप का पंजीकरण नहीं कराता है और नोटिस के बाद भी उसे गंभीरता से नहीं लेता है तो जुर्माना और सजा का प्रावधान है। अगर कोई इन नियमों के खिलाफ या यूसीसी के खिलाफ कोर्ट जाता है, तो न्यायालय द्वारा निर्णय लिया जाएगा।
यूपी में यूसीसी की स्थिति के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में औपचारिक रूप से यूसीसी लागू नहीं हुआ है, जैसे कि उत्तराखंड में किया गया है। यूपी में शायद कुछ प्रावधान मौजूद हों, लेकिन उन्होंने पूरी तरह से एक नया कानून नहीं लागू किया है।
यूसीसी से मुस्लिम समुदाय पर क्या असर पड़ेगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यूसीसी का उद्देश्य सभी समुदायों, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना है। मुस्लिम समाज में कुछ पारंपरिक प्रथाएं थीं, जैसे बहुविवाह और हलाला, जिन्हें अब समाप्त किया गया है। यह महिलाओं के लिए एक सकारात्मक कदम है। हालांकि, कुछ पुरुषों को पारंपरिक अधिकारों में बदलाव का विरोध हो सकता है, लेकिन यह एक प्रगतिशील कानून है।
यूसीसी में लिव-इन रिलेशनशिप के प्रावधानों के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े का अनिवार्य पंजीकरण होगा। यदि इन जोड़ों का बच्चा होता है, तो उसे वही अधिकार मिलेंगे जो विवाह के अंतर्गत पैदा होने वाले बच्चों को मिलते हैं। शादी का कोई कानूनी दायित्व नहीं होगा, लेकिन पंजीकरण कराना आवश्यक होगा।
समलैंगिक विवाह को लेकर उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यूसीसी में समलैंगिक विवाह का कोई प्रावधान नहीं है। यह केवल पुरुष और महिला के बीच विवाह को मान्यता देता है।
यूसीसी को लेकर क्या आप आलोचना से गुजर रहे थे, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसी भी बदलाव के साथ विरोध होता है, और विशेष रूप से जब यह धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों से जुड़ा होता है। मुस्लिम समाज में कुछ लोग विरोध कर रहे थे, लेकिन जब महिलाओं के अधिकारों की बात आती है, तो समाज का बड़ा हिस्सा इससे सहमत होता है।
शत्रुघ्न सिंह से जब आईएएनएस से उनकी आगे की योजनाओं के बारे में सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मैं अभी एक वेतन विसंगति समिति का अध्यक्ष हूं और कुछ समय पहले राज्य की एक नीति आयोग जैसी समिति से जुड़े आयोग में भी काम कर रहा हूं। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह दूसरे राज्यों को भी यूसीसी तैयार करने में मदद करेंगे तो उन्होंने कहा कि अगर दूसरे राज्य यूसीसी के लिए मुझसे सहायता लेते हैं, तो मैं उन्हें मार्गदर्शन देने के लिए तैयार हूं।
–आईएएनएस
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