त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना: भारतीय राजदूत ने म्यांमार में कार्य प्रगति की समीक्षा की

नैपीडा, 31 जुलाई (आईएएनएस)। क्षेत्रीय संपर्क को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए म्यांमार में भारत के राजदूत अभय ठाकुर ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के अधिकारियों के साथ दक्षिण-पूर्व एशियाई देश के कालेम्यो क्षेत्र का दौरा किया और भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के तहत आने वाले कालेवा-यागी सड़क खंड का निरीक्षण किया।
भारतीय दूतावास ने गुरुवार को ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के अंतर्गत आने वाली कालेवा-यागी सड़क परियोजना को आगे बढ़ाते हुए राजदूत अभय ठाकुर ने एनएचएआई प्रतिनिधियों के साथ कालेम्यो का दौरा किया। उन्होंने निर्माण टीमों से बातचीत की और आसपास के आईएमटी खंड में स्थानीय समुदाय से भी मुलाकात की।”
पोस्ट में आगे बताया गया, “स्थानीय समुदाय के अलावा, राजदूत ने कालेम्यो दुर्गा मंदिर में भारतीय प्रवासी समुदाय से भी भेंट की।”
भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना कुल 1360 किलोमीटर लंबी है, जो तीनों देशों को सड़क मार्ग से जोड़ने का एक प्रमुख प्रयास है। भारत इस परियोजना के अंतर्गत म्यांमार में दो प्रमुख खंडों का निर्माण कर रहा है- एक 120.74 किलोमीटर लंबा कालेवा-यागी सड़क खंड और दूसरा 69 पुलों समेत 149.70 किलोमीटर लंबे तामू-क्यीगोन-कालेवा सड़क खंड का निर्माण।
मई महीने में नई दिल्ली में आयोजित ‘राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट’ के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रिपक्षीय राजमार्ग की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा था कि यह परियोजना म्यांमार से थाईलैंड तक सीधा संपर्क स्थापित करेगी, जिससे भारत की थाईलैंड, वियतनाम और लाओस जैसे दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों से संपर्क और व्यापारिक संबंध और मजबूत होंगे।
पीएम मोदी ने यह भी बताया कि भारत और आसियान देशों के बीच फिलहाल लगभग 125 अरब डॉलर का व्यापार होता है, जिसे आने वाले वर्षों में 200 अरब डॉलर से अधिक तक ले जाने का लक्ष्य है। इसके लिए भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सेतु और रणनीतिक द्वार की भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कोलकाता बंदरगाह को म्यांमार के सिटवे बंदरगाह से जोड़ने वाले कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट को भी तेजी से पूरा करने पर जोर दिया, जिससे मिजोरम और पश्चिम बंगाल के बीच व्यापारिक मार्ग छोटा होगा और औद्योगिक विकास को बल मिलेगा।
–आईएएनएस
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