ट्रांसजेंडर शिक्षिका को सुप्रीम कोर्ट से मिला न्याय, दो स्कूलों से बर्खास्तगी पर मिलेगा मुआवजा

नई दिल्ली, 17 अक्टूबर (आईएएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ट्रांसजेंडर महिला शिक्षिका जेन कौशिक के पक्ष में फैसला सुनाया है, जिन्हें उत्तर प्रदेश और गुजरात के दो निजी स्कूलों ने उनकी लैंगिक पहचान के कारण नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर शिक्षिका जेन कौशिक के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि लिंग पहचान के आधार पर नौकरी से निकालना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। इसलिए जेन कौशिक को मुआवजा दिया जाएगा।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने यह फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि लिंग पहचान के आधार पर नौकरी से निकाले जाने पर उसे मुआवजा दिया जाएगा। फैसले में ट्रांसजेंडर के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक गाइडलाइन भी बनाई है और सरकार को इसके लिए एक व्यापक नीति बनाने को कहा है।
फैसले में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार ट्रांसजेंडर के लिए औपचारिक नीति नहीं लाती, तब तक सभी संस्थान कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करें। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त दिल्ली हाईकोर्ट की जज आशा मेनन की अध्यक्षता में समिति गठित की है, जो ट्रांसजेंडर अधिकारों के लिए समान अवसर नीति तैयार करेगी।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने जेन कौशिक की ओर से दायर रिट याचिका पर यह फैसला सुनाया। दरअसल, कौशिक की ट्रांसजेंडर पहचान के कारण उनन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
समिति के अन्य सदस्यों में कर्नाटक की ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता अकाई पद्मशाली, दलित और ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता ग्रेस बानू, तेलंगाना की ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता वैजयंती वसंत मोगली, जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर गौरव मंडल, बेंगलुरु के सेंटर फॉर लॉ एंड पॉलिसी में वरिष्ठ एसोसिएट नित्या राजशेखर और एसोसिएशन फॉर ट्रांसजेंडर हेल्थ इन इंडिया के सेवानिवृत्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. संजय शर्मा शामिल होंगे।
–आईएएनएस
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