ट्रेनिंग ग्राउंड है थिएटर, यह सिनेमा के लिए तैयार करता है एक्टर : आशुतोष राणा
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मुंबई, 3 मार्च (आईएएनएस)। अभिनेता आशुतोष राणा की गिनती एक मंझे हुए कलाकार के रूप में होती है। उन्होंने अपने थिएटर ड्रामा ‘हमारे राम’ के संदर्भ में न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात की। राणा ने थिएटर और सिनेमा के बीच अंतर को रेखांकित करते हुए बताया कि थिएटर एक ट्रेनिंग ग्राउंड की तरह है, जहां सिनेमा के लिए एक अभिनेता तैयार होता है।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से ग्रेजुएट राणा ‘दुश्मन’, ‘संघर्ष’, ‘वॉर’, ‘मुल्क’, ‘पठान’ समेत कई शानदार फिल्मों में काम कर चुके हैं। अभिनेता के विचार हैं कि थिएटर और सिनेमा दोनों का अपना महत्व और अलग-अलग उद्देश्य हैं।
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि थिएटर एक ट्रेनिंग ग्राउंड है। फिल्में एक प्रदर्शन की तरह हैं। आप बरेली में एक फिल्म देखते हैं और उसी समय बर्लिन में भी लोग आपके अभिनय कला को देख पाते हैं। लेकिन थिएटर में अगर आप इसे मुंबई में कर रहे हैं, तो दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों के अलावा मुंबई में भी हर कोई थिएटर नाटक को एक साथ नहीं देख पाएगा।”
उन्होंने थिएटर और सिनेमा दोनों के महत्व पर रोशनी डालते हुए कहा, ” ऐसी ट्रेनिंग का कोई महत्व नहीं है, जो आपको परफॉर्म करने का मौका न दे और लोग ऐसी प्रस्तुति को पसंद नहीं करते, जिसके पीछे बहुत ज्यादा ट्रेनिंग न हो, इसलिए मेरा मानना है कि आपके पास एक ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट होना चाहिए, जो आपको तैयार करे और जो व्यक्ति तैयार हो, चाहे वह कलाकार हो या योद्धा, उसे दुनिया के सामने लाने की कोशिश की जाए।”
उन्होंने कहा, “किसी भी प्रस्तुति के लिए ट्रेनिंग बहुत जरूरी है और मैं नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से हूं, तो आप देख सकते हैं कि हमारा मूल डीएनए रंग मंच का डीएनए है। थिएटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह आपको अलर्ट, अवेयर और एक्टिव रखता है। इसलिए हमें ट्रुथ ऑफ द मोमेंट जैसे किसी भी शो के लिए अपने अंदर इन तीन चीजों को बढ़ाना होगा और जब ये तीन चीजें बढ़ती हैं, तो हमारे जीवन में क्षमताएं भी बढ़ने लगती हैं और हम इसका अधिक से अधिक इस्तेमाल करने लगते हैं और यह कमाल होता है।“
–आईएएनएस
एमटी/सीबीटी