भारत में प्रॉपर्टी खरीदने का समय घटकर 26 दिन हुआ, तेजी से बिक रहे अल्ट्रा-लक्जरी घर

भारत में प्रॉपर्टी खरीदने का समय घटकर 26 दिन हुआ, तेजी से बिक रहे अल्ट्रा-लक्जरी घर

मुंबई, 11 नवंबर (आईएएनएस)। भारत में प्रॉपर्टी खरीदने का कन्वर्जन समय इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में घटकर औसतन 26 दिन रह गया, जबकि वित्त वर्ष 2021 में यह उच्चतम 33 दिन था। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि देश में बढ़ती डिस्पोजेबल आय और मजबूत आर्थिक गतिविधि के बीच आवास सबसे पसंदीदा निवेश का विकल्प बन रहा है। सोमवार को आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

एनारॉक ग्रुप के आंकड़ों के अनुसार, अल्ट्रा-लक्जरी घर जिनकी कीमत 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक है, में सबसे कम कन्वर्जन समय देखा गया, जो 2025 की पहली छमाही में केवल 15 दिन था। वित्त वर्ष 2024 में यह 22 दिन था।

50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच की कीमत वाले घरों के खरीदारों को सबसे अधिक 30 दिन का समय लगा और 1 करोड़ रुपये से 3 करोड़ रुपये के बीच की कीमत वाले घरों में वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में कुल कन्वर्जन समय 27 दिन रहा।

डेटा के अनुसार, लीड-टू-कन्वर्जन समय (पहली लीड से वास्तविक बुकिंग तक) वित्त वर्ष 2019 और वित्त वर्ष 2024 में सबसे कम 25 दिन था।

एनारॉक ग्रुप के अध्यक्ष अनुज पुरी ने कहा, “अल्ट्रा-लक्जरी घरों के खरीदार वित्तीय रूप से जल्दी निर्णय लेने के लिए सक्षम हैं। साथ ही, हाई-एंड घरों की वर्तमान में सबसे अधिक मांग है और इन्वेंट्री तेजी से बिक जाती है, जिससे तेजी की आवश्यकता होती है।”

किफायती घरों में कन्वर्जन समय में मामूली कमी देखी गई, जो कि वित्त वर्ष 2024 में 27 दिनों से वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही में 26 दिन रहा।

रिपोर्ट के अनुसार, खरीदारों ने वित्त वर्ष 2021 में घरों को बुक करने में आज की तुलना में अधिक समय लिया, जो वर्तमान में मजबूत मांग की गति को दर्शाता है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों में ब्रांडेड डेवलपर्स द्वारा नई आपूर्ति में उछाल देखा गया है, इसलिए खरीदार तेजी से निर्णय लेने में सक्षम महसूस करते हैं क्योंकि इन प्लेयर्स पर उनका भरोसा अधिक है।

पुरी ने कहा, “लीड-टू-बाय अवधि में इन कमियों के बावजूद, यह संभावना नहीं है कि हम इस प्रक्रिया में समग्र रूप से कोई वृद्धिशील परिवर्तन देखेंगे।”

भारतीय घर खरीदार खरीद निर्णय हल्के में नहीं लेते हैं, क्योंकि अक्सर घर खरीदने में बहुत अधिक पूंजीगत व्यय शामिल होता है, जिसे लोग अपनी बचत से पूरा करते हैं।

–आईएएनएस

एसकेटी/एएस

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