शेयर बाजार निवेशकों को विशेषज्ञ की राय, 'दीर्घावधि अवसर पर ध्यान देने का यही सही समय'


नई दिल्ली, 2 मार्च (आईएएनएस)। बाजार पर नजर रखने वालों के अनुसार, शॉर्ट-टर्म बिकवाली के बावजूद, मजबूत मैक्रो फंडामेंटल, आय वृद्धि और आकर्षक वैल्यूएशन ने मिलकर निवेशकों के लिए तात्कालिक अस्थिरता के बजाय दीर्घावधि अवसर पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मौजूदा समय को महत्वपूर्ण बना दिया है।

मैक्रो फ्रंट पर स्थितियां स्थिर बनी हुई हैं। राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है, साथ ही कर कटौती से खपत बढ़ने की उम्मीद है। मुद्रास्फीति 4.31 प्रतिशत पर कम है और ब्याज दरों में कटौती शुरू हो गई है, जिससे आर्थिक विकास को समर्थन मिलना चाहिए।

कैपिटलमाइंड रिसर्च में कृष्णा अप्पाला ने कहा, “घरेलू निवेशक म्यूचुअल फंड में लगातार पैसा लगा रहे हैं, जिससे विदेशी बिकवाली के दबाव को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। हालांकि बाजार के सटीक निचले स्तर को जान पाना मुश्किल है, लेकिन बहुत ज्यादा नेगेटिविटी अक्सर एक महत्वपूर्ण मोड़ का संकेत देती है।”

वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में जीडीपी वृद्धि दर बढ़कर 6.2 प्रतिशत हो गई, जबकि वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में संशोधित आंकड़ा 5.6 प्रतिशत था।

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी वृद्धि दर अब 6.5 प्रतिशत अनुमानित है, जबकि 2023-24 के लिए आर्थिक विकास दर को संशोधित कर 8.2 प्रतिशत कर दिया गया है, जो 12 साल का उच्चतम स्तर है।

विशेषज्ञों के अनुसार, भारत के वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही के जीडीपी डेटा ने उम्मीदों को पूरा किया, जिसमें वित्त वर्ष के लिए मामूली संशोधन कर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया।

कृषि क्षेत्र ने तीसरी तिमाही में स्थिर वृद्धि दर्ज की, जो खरीफ फसल में संभावित सुधार का संकेत देती है, जो ग्रामीण खपत को बढ़ावा दे सकती है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, “निवेशक प्रमुख आगामी घटनाओं जैसे टैरिफ पॉलिसी, यूएस कोर पीसीई प्राइस इंडेक्स और जॉबलेस दावों पर बारीकी से नज़र रखेंगे। निकट भविष्य में बाजार की स्थिति कमजोर रहने की उम्मीद है, जिसमें वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही से आय में सुधार और वैश्विक व्यापार नीति अनिश्चितताओं के कम होने के साथ धीरे-धीरे सुधार की उम्मीद है।”

विशेषज्ञों ने कहा कि बाजार हमेशा एक ही दिशा में नहीं चलते हैं।

इस बीच, मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुकूल राजकोषीय नीति जो पूंजीगत व्यय और उपभोग दोनों को सपोर्ट करती है और सभी लीवरों (रेट्स, लिक्विडिटी, रेगुलेशन, मजबूत सर्विस निर्यात) में आसान मौद्रिक नीति भारत के लिए विकास की गति को बढ़ाने में मददगार होगी।


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