जम्मू-कश्मीर को लेकर संसद में पक्ष-विपक्ष के बीच खूब चले जुबानी तीर

जम्मू-कश्मीर को लेकर संसद में पक्ष-विपक्ष के बीच खूब चले जुबानी तीर

नई दिल्ली, 5 दिसंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो अहम बिल (विधेयक) पेश किए। अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किया।

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक को लोकसभा में एक साथ विचार के लिए रखा गया। चर्चा के लिए शुरू में करीब चार घंटे का समय निर्धारित किया गया था।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, “पहले कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाएं होती थी। आज ऐसी घटनाएं नहीं होती हैं। आज सिर्फ लाल चौक पर ही नहीं बल्कि कश्मीर की हर गली में भारत का झंडा फहराया जाता है।”

जम्मू-कश्मीर में पुनर्गठन और आरक्षण पर दो संशोधन विधेयकों पर विचार-विमर्श करते हुए, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने अनुच्छेद 370 और 35ए को निरस्त करने की संवैधानिकता पर सवाल उठाया।

कांग्रेस सांसद ने 2018 में जारी राष्ट्रपति की उद्घोषणा को याद किया और एक सेक्शन (खंड) की ओर इशारा किया जिसमें संविधान के अनुच्छेद 3 के सेक्शन 1 और 2 को समाप्त करने का जिक्र था।

मनीष तिवारी ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का विचार पूर्व राज्य जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा में शामिल किया गया था।

मनीष तिवारी की टिप्पणियों पर अमित शाह ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उद्घोषणा में सेक्शन एक आवश्यक कदम था क्योंकि राज्य का बजट पारित करना तभी संभव होगा जब राज्य की विधानसभा भंग हो जाएगी।

मनीष तिवारी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अनुच्छेद 3 राज्य विधानसभा के कामकाज के बारे में बात नहीं करता है बल्कि यह केवल क्षेत्र के पुनर्गठन के बारे में बात करता है।

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द करने पर सवाल उठाए। इनके रद्द होने के कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था।

सौगत रॉय ने सरकार से अनुच्छेद निरस्त किए जाने के बाद के परिणामों के बारे में पूछा। पश्चिम बंगाल के दमदम से तृणमूल कांग्रेस सांसद ने भी शिकायत की कि जम्मू-कश्मीर में लोगों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।

अमित शाह ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर विधेयकों पर चर्चा के दौरान सौगत रॉय के बयान पर कहा, ”एक देश में दो प्रधानमंत्री, दो संविधान और दो झंडे कैसे हो सकते हैं? जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्होंने गलत किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ठीक किया। हम कहते रहे हैं कि देश में ‘एक प्रधान, एक निशान, एक विधान’ होना चाहिए और हमने ऐसा किया।”

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच एनसीपी (शरद पवार) गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने अखिल भारतीय आरक्षण पर चर्चा की मांग की है।

वह दो जम्मू-कश्मीर संशोधन विधेयकों पर चर्चा के बीच बोल रही थीं, जिनमें से एक केंद्र शासित प्रदेश के लोगों के लिए आरक्षण की बात करता है। उन्होंने भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए दिवंगत भाजपा नेताओं अरुण जेटली और सुषमा स्वराज को भी याद किया।

सुले ने कहा, “आज मुझे अरुण जेटली और सुषमा स्वराज की याद आती है…वे एकमात्र भाजपा नेता थे, जिन्होंने सहकारी संघवाद की वकालत की थी।”

–आईएएनएस

एफजेड/एबीएम

E-Magazine