नरकटियागंज विधानसभा : भाजपा का मजबूत किला, फिर भी हर बार दिलचस्प रहता है इस सीट पर चुनावी मुकाबला

नरकटियागंज, 1 अगस्त (आईएएनएस)। 2008 में हुए परिसीमन के बाद नरकटियागंज विधानसभा सीट अस्तित्व में आई। इस सीट पर अब तक जितने चुनाव हुए हैं, उनमें लगातार बदलते राजनीतिक समीकरणों और कड़े मुकाबलों के चलते यह सीट एक ‘हॉट सीट’ बनकर उभरी है। यह इलाका केवल सिनेमा प्रेमियों के लिए अभिनेता मनोज बाजपेयी का पैतृक घर भर नहीं है, बल्कि यहां से भाजपा नेता सतीश चंद्र दुबे जैसे कद्दावर नेताओं ने भी राजनीति की दिशा तय की है।
नरकटियागंज की कुल आबादी 4,61,720 है, जिसमें पुरुषों की संख्या 2,44,379 और महिलाओं की संख्या 2,17,341 है। चुनाव आयोग के अनुसार, यहां कुल 2,79,043 मतदाता पंजीकृत हैं, जिनमें 1,48,348 पुरुष, 1,30,682 महिलाएं और 13 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि मतदाता संख्या और भागीदारी के लिहाज से यह सीट महत्वपूर्ण है।
इतिहास और विरासत के लिहाज से भी नरकटियागंज एक खास स्थान रखता है। नरकटियागंज प्रखंड के चानकीगढ़ में नंद वंश और आचार्य चाणक्य द्वारा बनवाए गए महलों के अवशेष आज भी मौजूद हैं, जो आज टीले के रूप में दिखाई देते हैं।
कृषि के लिहाज से यह क्षेत्र काफी समृद्ध है और यहां आम, गन्ना तथा धान की खेती प्रमुखता से की जाती है। अधिकांश लोग आजीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं। नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र रणनीतिक रूप से भी महत्त्वपूर्ण है। भारत-नेपाल की सीमा पर स्थित नरकटियागंज परिवहन की दृष्टि से भी एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो सड़क और रेल दोनों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। यह बरौनी-गोरखपुर रेलमार्ग पर स्थित है और नरकटियागंज जंक्शन एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि की बात करें तो नरकटियागंज विधानसभा क्षेत्र का गठन 2008 में हुआ था। इसके बाद अब तक यहां 2010, 2014 (उपचुनाव), 2015 और 2020 में चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए की मजबूत पकड़ रही है। मुस्लिम मतदाताओं की भागीदारी यहां लगभग 30 प्रतिशत है, फिर भी भाजपा की लगातार सफलता यह दर्शाती है कि सीट पर जातीय संतुलन, संगठनात्मक तैयारी और प्रत्याशी की सामाजिक स्वीकार्यता इस सीट पर सबसे निर्णायक हैं।
इस सीट की राजनीतिक दिशा को समझने के लिए जातीय समीकरणों को जानना जरूरी है। नरकटियागंज में राजपूत, भूमिहार, कुर्मी, ब्राह्मण और यादव मतदाताओं की बड़ी संख्या है, जिससे कोई एक जाति चुनाव में पूर्ण दबदबा नहीं बना पाती। यही वजह है कि यहां गठबंधन की रणनीति, प्रत्याशी का सामाजिक जुड़ाव और सटीक रणनीतिक मतदान ही चुनाव परिणाम तय करते हैं। नरकटियागंज की राजनीति को समझने के लिए केवल आंकड़ों की नहीं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने की भी गहरी समझ जरूरी है।
–आईएएनएस
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