छात्रा का 6 माह बर्बाद न हो चीफ जस्टिस ने छुट्टी के दिन आवास पर लगाई अदालत, जाने क्या है पूरा मामला

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा में उपस्थिति कम दर्ज होने के चलते परीक्षा से वंचित की गई एक छात्रा को परीक्षा में शामिल होने का आदेश दिया है। दरअसल तकनीकी खामी के चलते विवि के मानक के अनुरूप उसकी उपस्थिति नहीं दर्ज हो पाई थी। जिसके चलते छात्रा सान्या यादव को गुरुवार को होने वाली पूरक परीक्षा में न शामिल करने का फैसला लिया गया था। कोर्ट ने आदेश तक परीक्षा परिणाम जारी करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि यदि याची की दलील गलत निकलती है तो उसे विश्वविद्यालय को हर्जाना देना होगा। यह निर्देश चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर ने छात्रा की अपील पर बुधवार को अपने आवास पर लगाई गई विशेष अदालत में दी।

ये है पूरा मामला

बता दें कि एमिटी यूनिवर्सिटी में गुरुवार को अपरान्ह दो बजे से एमबीए (मीडिया मैनेजमेंट) के अंतर्गत मार्केटिंग मैनेजमेंट विषय की पूरक परीक्षा का आयोजन होना है। विवि प्रशासन ने छात्रा सान्या यादव की कम उपस्थिति दर्ज होने के चलते परीक्षा से वंचित कर दिया था।

इसके बाद छात्रा ने मामले में तत्काल सुनवाई के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। छात्रा के वकील अवनीश त्रिपाठी ने बताया कि पोर्टल में गड़बड़ी के कारण याची की उपस्थिति कम दर्ज हुई है। यदि गुरुवार को आयोजित होने वाली परीक्षा से वंचित किया जाता है तो उसके छह माह खराब हो जाएंगे। जबकि विवि की ओर से पेश वकील ने अवकाश का हवाला देते हुए कहा कि अब इतनी देर हो चुकी है कि प्रवेश पत्र भी जारी नहीं किया जा सकता और न ही कोर्ट के समक्ष विस्तृत जानकारी पेश की जा सकती।

परीक्षा से वंचित करना ठीक नहीं

चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रत्येक परीक्षा महत्वपूर्ण होता है। तकनीकी आधार पर उसे परीक्षा से वंचित करना ठीक नहीं है।

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