पुराने दर्द के कारण चार गुणा तक बढ़ सकता है डिप्रेशन होने का खतरा : अध्ययन

नई दिल्ली, 16 अप्रैल (आईएएनएस)। तीन महीने या उससे ज्यादा समय तक रहने वाला पुराना दर्द (क्रॉनिक पेन) डिप्रेशन की संभावना को चार गुना तक बढ़ा सकता है। यह जानकारी एक अध्ययन में सामने आई है।
दुनिया भर में लगभग 30 प्रतिशत लोग किसी न किसी पुराने दर्द जैसे कि पीठ दर्द या माइग्रेन से परेशान रहते हैं। इन लोगों में से हर तीन में से एक व्यक्ति को एक से ज्यादा जगहों पर दर्द की समस्या होती है।
अध्ययन में पाया गया कि केवल एक जगह पर दर्द होने की तुलना में शरीर के एक से ज़्यादा हिस्सों में दर्द होने पर डिप्रेशन का खतरा ज्यादा होता है।
येल स्कूल ऑफ मेडिसिन के रेडियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डस्टिन शीनॉस्ट ने कहा, “दर्द सिर्फ शरीर का नहीं होता, उसका असर मन पर भी पड़ता है। हमारी रिसर्च यह दिखाती है कि शारीरिक बीमारियां मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकती हैं।”
शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि शरीर में होने वाली सूजन (इंफ्लेमेशन) की वजह से भी दर्द और डिप्रेशन का आपस में संबंध हो सकता है। सूजन से जुड़ा एक प्रोटीन सी-रिएक्टिव प्रोटीन (जो लिवर द्वारा सूजन की प्रतिक्रिया में बनता है) इस संबंध को समझने में मदद कर सकता है।
यह अध्ययन यूके बायोबैंक के 4 लाख 31 हजार से ज़्यादा लोगों के आंकड़ों पर आधारित है, जिनको 14 साल तक फॉलो किया गया। दर्द को सिर, चेहरा, गर्दन, पीठ, पेट, कमर, घुटना और सामान्य दर्द जैसे हिस्सों में बांटा गया था।
शोध में यह भी सामने आया कि चाहे दर्द शरीर के किसी भी हिस्से में हो, अगर वह लंबे समय तक बना रहता है, तो उससे डिप्रेशन होने की आशंका अधिक हो जाती है।
प्रोफेसर शीनॉस्ट ने कहा, “हम अकसर मानसिक स्वास्थ्य को शरीर के अन्य हिस्सों जैसे दिल या लिवर से अलग मानते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हमारे शरीर के सभी अंग एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।”
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर दर्द और डिप्रेशन के पीछे के कारणों को और गहराई से समझा जाए, तो इसका इलाज खोजने में मदद मिल सकती है।
–आईएएनएस
एएस/